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इज ऑफ डूइंग बिजनेस की सफलता के लिए निचले स्तर पर सुधारों की जरूरत: जेटली

जेटली ने इज ऑफ डूइंग बिजनेस के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों की सफलता के लिए नगर निगम और पंचायत के स्तर पर सुधारों की जरूरत पर बल दिया।

Dharmender Chaudhary
Published on: August 15, 2016 11:18 IST
इज ऑफ डूइंग बिजनेस की सफलता के लिए निचले स्तर पर सुधारों की जरूरत: जेटली- India TV Paisa
इज ऑफ डूइंग बिजनेस की सफलता के लिए निचले स्तर पर सुधारों की जरूरत: जेटली

रायपुर। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने इज ऑफ डूइंग बिजनेस के क्षेत्र में केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सफलता के लिए नगर निगम और पंचायत के स्तर पर सुधारों की जरूरत पर बल दिया। जेटली ने दुर्ग जिला मुख्यालय पर एक संगोष्ठी में कहा कि केन्द्र और राज्य दोनों ही स्तरों पर कारोबार सुगमता के लिए जो कदम उठाए जा रहे हैं। वह तभी सफल हो सकेंगे जब इनका प्रभाव स्थानीय निकायों और पंचायत के स्तर तक पहुंचेगा।

जेटली ने कहा कि यदि निवेशक निवेश के लिए आना चाहते हैं तो उन्हें सबसे पहले पर्यावरण विभाग से मंजूरी लेनी होती है, उसके बाद राज्य सरकार से मंजूरी तथा अन्य मंजूरियां लेनी होती हैं। लेकिन उन्हें यदि स्थानीय निकायों जैसे कि नगर निगम और पंचायतों से मंजूरी नहीं मिलेगी तो पूरी प्रक्रिया ही बेकार हो जाएगी। जेटली ने जोर देते हुए कहा, कारोबार सुगमता में सुधार लाने के लिए केन्द्र और राज्यों के साथ साथ निचले स्तर (स्थानीय निकायों) में सुधारों को बढ़ाने की जरूरत है। वित्त मंत्री ने कहा कि भारत इससे पहले वैश्विक आर्थिक उत्थान का लाभ उठाने में पीछे रह गया था। लेकिन अब विश्व अर्थव्यवस्था में सुस्ती का रूख होने के बावजूद यह दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनकर उभर रहा है।

जेटली ने कहा, दुर्भाग्य से इससे पहले दुनिया में जो आर्थिक क्रांति आई थी हमारा देश उसका लाभ उठाने में पीछे रह गया। यूरोपीय देशों, अमेरिका और अन्य देशों ने इस औद्योगिक क्रांति का भरपूर लाभ उठाया। इसी प्रकार छोटे देशों जैसे कि जापान, कोरिया और ताइवान ने प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आई नवोन्मेष क्रांति का लाभ उठाया। उन्होंने कहा, चीन ने तीसरी क्रांति के तौर पर कम लागत विनिर्माण का पूरा लाभ उठाया लेकिन भारत दुनिया के आर्थिक जगत में आये इन बदलावों का लाभ उठाने में चूक गया।

जेटली ने कहा, इतिहास कभी भी मौका नहीं देता है लेकिन ऐसा लगता है कि हिन्दुस्तान को एक और मौका मिला है। दुनिया में सुस्ती के बावजूद पिछले दो सालों के दौरान भारत दुनिया में तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनकर उभरा है। यह समय है जब हमें यह सोचना है कि हमारे समक्ष कहां समस्या आ रही है और हम इसे कैसे दूर सकते हैं ताकि हम एक आर्थिक महाशक्ति बनकर खड़े हो सकें।

वित्त मंत्री ने कहा कि विकास के लिए कर क्षेत्र में सुधार जरूरी हैं और वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) इस दिशा में एक अहम कदम हैं। उन्होंने कहा कि इससे देश की अर्थव्यवस्था वैश्विक बाजार के समान स्तर पर पहुंचने में मदद मिलेगी। आने वाले समय की प्रमुख चुनौतियों का उल्लेख करते हुए जेटली ने कहा कि हमारी ढांचागत सुविधायें जैसे कि सड़कें, हवाईअड्डे विश्व स्तरीय होने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कारोबारियों को कर बचाने के बजाय कर भुगतान की आदत डालनी होगी ताकि विकास में इसका योगदान बढ़ सके।

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