नई दिल्ली| कृषि सुधार पर तकरार के बीच मोदी सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि किसानों की आमदनी दोगुनी करना एक बड़ा लक्ष्य है, जिसे हासिल करने के लिए सुधार जरूरी हैं।
किसानों की आय दोगुनी करने को लेकर गठित विशेषज्ञों की समिति (DFI कमेटी) के अध्यक्ष अशोक दलवई ने बताया कि, "कृषि और संबद्ध क्षेत्र में सुधार के लिए पिछले कुछ वर्षों में जो भी नीतियां बनाई गई हैं, उनका मकसद किसानों की आय में बढ़ोतरी करना है। उन्होंने कहा कि बाजार व्यवस्था में सुधार की बात हो या फिर सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न योजनाएं हों, सारा कुछ किसानों के फायदे के लिए किया गया है, ताकि उनकी आमदनी 2022 तक दोगुनी करने के लक्ष्य को हासिल किया जा सके।"
वरिष्ठ अधिकारी दलवई ने कहा, "कृषि बाजार में सुधार पर ज्यादा जोर देने की आवश्यकता है, क्योंकि एपीएमसी हो या डायरेक्ट ट्रेड हो बाजार में खरीद के चैनल ज्यादा होने किसानों को अच्छे भाव मिलने की संभावना ज्यादा होगी।" नये कृषि कानून के आइने में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की प्रासंगिकता को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, "बाजार में कृषि उत्पादों के दाम में उतार-चढ़ाव होता रहता है। ऐसे में जब किसानों को उचित भाव नहीं मिल पाता है, तब एमएसपी पर खरीद की जरूरत होती है। इसलिए, एमएसपी एक वैकल्पिक व्यवस्था है।"
किसानों की आमदनी दोगुनी करने को लेकर गठित कमेटी की सिफारिशों का जिक्र करते हुए अशोक दलवई ने कहा, "हमने डीएफआई रिपोर्ट में मार्केट रिफॉर्म और एमएसपी को मजबूत करने की आवश्यकता दोनों का का जिक्र किया है। हमने रिपोर्ट में इस बात का विश्लेषण किया है एमएसपी क्यों जरूरी है।" उन्होंने कहा कि जब उचित भाव दिलाने में बाजार विफल होता है, तब एमएसपी पर खरीद की जरूरत होती है।
नये कृषि कानूनों का विरोध करने वाले किसान यूनियन एमएसपी की गारंटी के लिए कानून बनाने की मांग कर रहे हैं, जबकि सरकार एमएसपी पर फसलों की खरीद की मौजूदा व्यवस्था जारी रखने का आश्वासन देने को तैयार है। वरिष्ठ अधिकारी दलवई ने कहा, "सभी फसलों की खरीद करना किसी भी सरकार के लिए संभव नहीं है, लेकिन बाजार में जब किसी फसल की कीमत उसके एमएसपी से जब नीचे आ जाए तब सरकार को उस फसल की थोड़ी खरीद करनी चाहिए ताकि बाजार भाव उंचा हो जाए।"
अशोक दलवई नेशनल रेनफेड एरिया अथॉरिटी के सीईओ हैं। उन्होंने कहा कि पीएम-आशा (प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान) के तहत दलहनों और तिलहनों व मोटा अनाज के उत्पादन का 25 फीसदी तक सरकारी खरीद करने की बात कही गई है, जबकि धान और गेहूं की खरीद तो 30 फीसदी से भी ज्यादा होती है।
बासमती चावल समेत कुछ अन्य कृषि उत्पादों के लिए एमएसपी नहीं होने के बावजूद उसका अच्छा भाव मिलने के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि ऐसे उत्पादों की क्वालिटी अच्छी है और उसका निर्यात होता है इसलिए अच्छा भाव मिलता है। कमेटी ने कृषि निर्यात बढ़ाकर 100 अरब डॉलर का लक्ष्य हासिल करने के लिए आक्रामक निर्यात रणनीति अपनाने की सिफारिश भी की है।
कोरोना काल में देश की तमाम आर्थिक गतिविधियां प्रभावित रही हैं, लेकिन कृषि और संबद्ध क्षेत्र की विकास दर चालू वित्त वर्ष की तीनों तिमाहियों में सकारात्मक रही हैं। ऐसे में किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने के लक्ष्य को हासिल करने को लेकर पूछे गए सवाल पर अशोक दलवई ने कहा कि कृषि सुधार के सारे कार्यक्रम इसी लक्ष्य को हासिल करने से जुड़ा है और निस्संदेह इस दिशा में अच्छी प्रगति है। उन्होंने कहा कि प्रगति का आकलन का पता तो तब चलेगा जब नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट आएगी, लेकिन प्रगति अच्छी है।