नई दिल्ली। भारत में बड़े सुधारों का रास्ता आसान नहीं है और इन्हें आगे बढ़ाने की प्रक्रिया धीमी तथा थकाऊ होगी। मॉर्गन स्टेनले की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। वैश्विक वित्तीय सेवा क्षेत्र की इस कंपनी ने कहा है कि बजट 2016-17 से एक बार फिर यह साबित हुआ है कि भारत में बड़े सुधारों को आगे बढ़ाना कोई आसान बात नहीं है। मोर्गन स्टेनले ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत में सुधार सुस्त, कठिन और थकाऊ प्रक्रिया होगी। इसके लिए विपक्ष व अफसरशाही के सहयोग की जरूरत होती है।
इस साल की शुरुआत से भारतीय बाजारों में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। इसकी वजह शंघाई कम्पोजिट सहित अन्य वैश्विक बाजारों में उतार-चढ़ाव और घरेलू घटनाक्रम हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कई नकारात्मक कारकों से भारतीय शेयर बाजारों में काफी कमजोरी देखने को मिली है। इसमें वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट, चीन की अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता तथा कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजे जैसे कारक शामिल हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि सार्वजनिक बैंकों के बढ़ते एनपीए और अन्य कई सेक्टर में कमजोर तिमाही नतीजों सहित घरेलू कारणों से हाल ही में बाजार में कमजोरी रही। इस वहज से इंडेक्स अपने 21 माह के निचले स्तर पर पहुंच गए, जबकि 11 फरवरी को सेंसेक्स 807 अंक टूटकर 23,000 अंक के स्तर से नीचे बंद हुआ।