कोलकाता। हाउसिंग कंपनियों के प्रमोटर्स और बिल्डरों को कर्ज देने वाले बैंक और वित्तीय संस्थाएं नई RERA (रियल एस्टेट नियमन एवं विकास अधिनियम, 2016) व्यवस्था में असुरिक्षत महसूस कर रही हैं और उन्होंने अपने लोन की सुरक्षा को लेकर सफाई मांगी है।
रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स के लिए डेवलपरों को ऋण देने वाले ये कर्जदाता महसूस करते हैं कि नई RERA व्यवस्था में उनकी भूमिका पर गौर नहीं किया गया है या इस मुद्दे पर अस्पष्टता है। सूत्रों ने कहा कि यदि बिल्डर अपने वादे पर खरा नहीं उतरता, तो उस स्थिति में चिंतित मकान खरीदारों की चिंताओं का इस कानून में समाधान किया गया है। यह भी पढ़ें : केंद्र सरकार ने NGT के डीजल वाहनों पर दिए ऐतिहासिक आदेश का किया विरोध, कहा – कानून के प्रावधानों से अलग है आदेश
बैंक कर्जदारों से अपने वसूल नहीं होने वाले ऋणों की वसूली के लिए फिलहाल प्रतिभूति एवं वित्तीय संपत्तियों का पुनर्गठन एवं प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियम को अंतिम उपाय के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। बैंकिग जगत के सूत्रों ने संकेत दिया कि वे नियामक के सामने अपनी चिंताएं एवं आशंकाएं रखने के लिए प्रतिवेदन दे रहे हैं।
RERA एक मई से लागू होना है लेकिन अब तक सिर्फ 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने नए कानून बनाए हैं। सूत्रों ने बताया कि महाराष्ट्र में वित्तीय संस्थाएं एवं बैंक इस संबंध में आगे चल रहे हैं। महाराष्ट्र ने RERA सबसे पहले लागू किया है। यह भी पढ़ें : रियल एस्टेट कानून RERA कल से होगा लागू, अब तक सिर्फ 13 राज्यों ने बनाए कानून