नयी दिल्ली। दिल्ली में सर्कल रेट में जारी कटौता का मकानों की बिक्री पर बेहतर असर दिखाई दे सकता है। बिल्डर्स को उम्मीद है कि इससे मकानों की बिक्री बढ़ेगी। लेकिन रियल्टी कारोबारियों की मांग है कि सरकार दिल्ली में कई कॉलोनियों के सर्कल रेट को युक्तिसंगत बनाने और उन्हें बाजार के मौजूदा दरों के साथ बेहतर ढंग से संयोजित करने पर जोर दे। कारोबारियों का मानना है कि इस फैसले से निश्चित रूप से महारानी बाग, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, वसंत विहार आदि जैसे ए श्रेणी के बाजारों में लेनदेन की गति को बढ़ावा मिलेगा।
दिल्ली सरकार ने इस वर्ष फरवरी में दिल्ली में आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक संपत्तियों से सर्कल रेट को 30 सितंबर, 2021 तक सभी श्रेणियों की कॉलोनियों और क्षेत्रों में सीधे-सीधे 20 प्रतिशत कम करने की घोषणा की थी। इस अवधि को अब इस वर्ष दिसंबर तक के लिए बढ़ा दिया गया है। सीबीआरई के भारत, दक्षिण-पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया और अफ्रीका में अध्यक्ष एवं सीईओ अंशुमन मैगजीन ने कहा, ‘‘दिसंबर 2021 तक सर्कल रेट में 20 प्रतिशत की छूट को बढ़ाने का दिल्ली सरकार का फैसला शहरी अचल संपत्ति बाजार, विशेष रूप से आवास क्षेत्र के लिए बेहद सकारात्मक है।’’
इंडिया सोथबीज इंटरनेशनल रियल्टी के सीईओ अमित गोयल ने कहा कि इस फैसले से निश्चित रूप से महारानी बाग, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, वसंत विहार आदि जैसे ए श्रेणी के बाजारों में लेनदेन की गति को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा, ‘‘अब हम दिल्ली की कॉलोनियों में सर्कल दरों को युक्तिसंगत बनाने और उन्हें मौजूदा बाजार दरों के साथ बेहतर ढंग से संरेखित करने के लिए विभिन्न श्रेणियों में फेरबदल करने पर चल रही दिल्ली सरकार की कवायद के निष्कर्ष की प्रतीक्षा कर रहे हैं।’’
एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि सर्कल रेट में कटौती का विस्तार स्पष्ट रूप से स्वागत योग्य है, क्योंकि इन समय के दौरान रियल एस्टेट क्षेत्र को कोई राहत दी जाती है। उन्होंने कहा कि इससे हालांकि दिल्ली में केवल मंहगी संपत्तियों और पुनर्विक्रय बाजारों को लाभ होगा। इसके अलावा कोलियर्स इंडिया के सलाहकार सेवा निदेशक आशुतोष कश्यप ने कहा कि इस कदम से शहर में संपत्ति के लेन-देन में गति को बनाए रखने में मदद मिलेगी।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली सरकार के सर्कल रेट में छूट के फैसले से संपत्तियों के पंजीकरण और स्टांप शुल्क संग्रह दोनों में वृद्धि हुई है। इस साल मध्य सितंबर तक दिल्ली में कुल 1,22,499 संपत्तियों का पंजीकरण किया गया जिससे 1,371 करोड़ रुपये से अधिक का स्टांप शुल्क संग्रह हुआ।