नई दिल्ली। रियल्टी कंपनियों के शीर्ष संगठन क्रेडाई ने मंगलवार को कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत रियल्टी डेवलपरों को इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ मिलना चाहिए। संगठन के अनुसार इससे मकान की कीमतों में 10 प्रतिशत की कमी आ सकती है। तेरह हजार से अधिक सदस्यों का प्रतिनिधित्व करने वाला क्रेडाई ने केंद्र सरकार से जीएसटी की ‘कंपोजिट’ योजना के तहत रियल एस्टेट कंपनियों के लिये आईटीसी का लाभ दिये जाने का आग्रह किया। संगठन ने एक बयान में कहा, ‘‘निर्माण लागत काफी बढ़ गयी है। इसको देखते हुए क्रेडाई का यह मानना है कि इस प्रकार के कदम से मकानों की कीमतों में 10 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है और सस्ते आवास की आपूर्ति बढ़ेगी।’’
निर्माणधीन फ्लैट पर बिना आईटीसी लाभ के 5 प्रतिशत जीएसटी लगता है। वहीं सस्ते मकानों के मामले में बिना आईटीसी लाभ के जीएसटी एक प्रतिशत है। पूर्ण रूप से तैयार मकानों पर जीएसटी नहीं लगता है। क्रेडाई ने मांग की कि सरकार को रियल्टी कंपनियों को आईटीसी (आकलन योजना) के साथ 12 प्रतिशत जीएसटी दर और बिना आईटीसी लाभ की (कंपोजिशन योजना) में 5 प्रतिशत जीएसटी में से किसी एक विकल्प को चुनने की अनुमति देनी चाहिए। इससे क्षेत्र को कठिन समय के दौरान जरूरी वित्तीय मजबूती मिल सकेगी। क्रेडाई के राष्ट्रीय अध्यक्ष हर्ष वर्धन पटोदिया ने कहा, ‘‘जहां एक तरफ जीएसटी को अमल में लाना पिछले चार साल के दौरान समूची अर्थव्यवस्था के लिये पासा पलटने वाला कदम साबित हुआ है, वहीं हमारा मजबूती के साथ यह मानना है कि देश के रियल एस्टेट क्षेत्र और उससे जुड़े तमाम हितधारकों को बेहतर परिवेश उपलब्ध कराने के वास्ते उससे जुड़े नियमों और उपायों में कुछ बदलाव करने की जरूरत है।’’
उन्होंने कहा कि जीएसटी की मौजूदा कंपोजीशन योजना के तहत डेवलपर को इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं मिलने का निर्माण लागत और आवास मूल्यों पर प्रतिकूल असर हो रहा है। एसोसियेसन का मानना है कि देशभर में आवास दरें 4,000 से 5,000 रुपये प्रति वर्गफुट के दायरे में चल रही हैं। आईटीसी का लाभ नहीं मिलने के कारण इस लागत में एक अनुमान के मुताबिक 400 से 500 रुपये प्रति वर्गफुट की वृद्धि शामिल है।
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