मुंबई। कोरोना वायरस महामारी के कारण बिक्री गिरने से रियल्टी कंपनियों को कर्मचारियों की छंटनी और वेतन में कटौती करना पड़ रहा है। आने वाले महीनों में भी बिक्री सुस्त रहने की आशंका के मद्देनजर ये कंपनियां लागत कम करने के विभिन्न उपायों पर गौर कर रही हैं। विशेषज्ञों ने इसकी जानकारी दी। विशेषज्ञों के अनुसार रियल एस्टेट क्षेत्र नोटबंदी, रियल एस्टेट नियमन अधिनियम (रेरा), माल एवं सेवा कर (जीएसटी) जैसी नयी व्यवस्थाओं को लागू करने से उत्पन्न रुकावटों तथा मंजूरियां मिलने में देरी के कारण पहले ही पिछले तीन-चार साल से दिक्कतों से जूझ रहा है।
इस बीच कोरोना वायरस महामारी ने खरीदारों की धारणा तथा बिक्री को प्रभावित कर रियल एस्टेट क्षेत्र की दिक्कतों को और बढ़ा दिया है। उद्योग जगत के अनुमानों के मुताबिक रियल एस्टेट क्षेत्र में 60-70 लाख लोग कार्यरत हैं, जिनमें तीन लाख सफेदपोश कर्मचारी भी शामिल हैं। मायहायरिंगक्लब डॉट कॉम और सरकारी-नौकरी डॉट इंफो के अनुमान के अनुसार, रियल एस्टेट क्षेत्र में लगभग दो लाख कर्मचारियों (सफेदपोशों सहित) को कोरोनो वायरस संकट के कारण निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में अब तक 60 हजार से अधिक लोगों को निकाला जा चुका है।
परामर्श प्रदान करने वाली कंपनी प्रॉपकंसिलियम इंफ्राटेक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) एवं प्रबंध निदेशक (एमडी) राजेश कुमार ने कहा, 'इस क्षेत्र की बिक्री पर एक बड़ा प्रभाव पड़ रहा है और यह कंपनियों की लाभप्रदता को सीधे प्रभावित करेगा। अब लंबित भुगतानों में चूक की भी आशंकाएं हैं।' उन्होंने कहा, 'पहले से ही ज्यादातर डेवलपर्स नकदी की कमी का सामना कर रहे हैं और इसलिये वे अब लागत कम करने पर ध्यान दे रहे हैं। वे इसके लिये छंटनी कर रहे हैं, अपने ऑफिस बंद कर रहे हैं।'
रियल्टी कंपनी प्रजापति समूह के प्रबंध निदेशक राजेश प्रजापति ने कहा कि कंपनी को नौकरियों तथा वेतन दोनों में 15-20 प्रतिशत की कटौती करने पर बाध्य होना पड़ा है। नॉन-ब्रोकिंग रियल एस्टेट शोध कंपनी लियसेस फोरास की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉकडाउन के प्रत्येक महीने में राजस्व का 8.3 प्रतिशत का नुकसान हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जून के अंत तक, आवासीय अचल संपत्ति बाजार में राजस्व का नुकसान 26.58 प्रतिशत पर रहेगा, जो जुलाई अंत तक बढ़कर 35.07 प्रतिशत तक हो जायेगा।