नई दिल्ली। जापान की वाहन कंपनी टोयोटा 2,000 सीसी से अधिक के इंजन वाले डीजल वाहनों पर प्रतिबंध के चलते अपने भारतीय परिचालन पर नए सिरे से विचार कर रही है। अब केरल में भी डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लग चुका है। कंपनी ने कहा है कि ये आदेश प्राकृतिक न्याय के सिद्धान्त के खिलाफ है। टोयोटा भारत में किर्लोस्कर समूह के साथ संयुक्त उद्यम टोयोटा किर्लोस्कर मोटर के रूप में परिचालन करती है। हालांकि कंपनी का भारत से बोरिया बिस्तर समेटने का इरादा नहीं है, लेकिन शायद वह यहां कोई नया मॉडल पेश नहीं करेगी।
टोयोटा किर्लोस्कर मोटर के वाइस चेयरमैन एवं पूर्णकालिक निदेशक शेखर विश्वनाथन ने कहा, हमने यहां अपने परिचालन पर नए सिरे से विचार शुरू कर दिया है। हमें यह प्रतिबंध नहीं बल्कि अपनाया गया अनुचित तरीका चोट पहुंचा रहा है। हमारी सुनवाई किए बिना आदेश पारित किए जा रहे हैं। यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धान्त के खिलाफ है। हमें लगता है कि हमारे वाहनों को लक्ष्य बनाया जा रहा है।
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वह राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण की कोच्चि की सर्किट पीठ के कल के उस आदेश पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिसमें केरल सरकार को निर्देश दिया गया है कि वह 2000 सीसी या उससे अधिक इंजन क्षमता के डीजल वाहन का पंजीकरण न करे। सिर्फ सार्वजनिक परिवहन और स्थानीय प्राधिकरण के वाहनों को इससे छूट होगी।
पीठ ने इसके अलावा छह प्रमुख शहरों में 10 साल से अधिक पुराने हल्के व भारी डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इन शहरों में राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम और वाणिज्यिक राजधानी कोच्चि भी शामिल हैं। उच्चतम न्यायालय द्वारा पिछले साल दिसंबर में दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 2000 सीसी से अधिक की डीजल कारों तथा एसयूवी के पंजीकरण पर रोक लगा दी थी। इस आदेश से टोयोटा सबसे अधिक प्रभावित हुई है।
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