नई दिल्ली। नकदी के संकट से जूझ रहे निजी क्षेत्र के येस बैंक ग्राहकों को आरबीआई की पाबंदी के बाद काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है। आरबीआई द्वारा येस बैंक पर पाबंदी लगाए जाने के बाद बैंक के परेशान जमाकर्ताओं को एटीएम से धन निकालने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। जैसे ही यह खबर फैली कि बैंक के ग्राहक अब 50 हजार रुपए से ज्यादा नहीं निकाल पाएंगे येस बैंक के एटीएम के बाहर ग्राहकों की लंबी लाइन लग गई। लंबी कतारों में खड़े जमाकर्ताओं को कहीं मशीनें बंद पड़ी मिलीं तो कहीं एटीएम में पैसे नहीं थे। इसके अलावा उनकी मुसीबत तब और बढ़ गई जब उन्हें इंटरनेट बैंकिंग के जरिये पैसे ट्रांसफर करने में असुविधा झेलनी पड़ी। आप भी जानिए आखिर यस बैंक की ये हालत क्यों हुई?
गौरतलब है कि येस बैंक की ऑनलाइन बैंकिंग बेवसाइट ठप हो गई है। वेबसाइट की तरफ से यह कहा गया है कि हैवी ट्रैफिक के चलते वेबसाइट की सेवा में रुकावट आई है, हालांकि आरबीआई की तरफ से निकासी की सीमा तय करना ही इसकी वजह है। येस बैंक के ऑनलाइन पेज पर जाने पर यह लिखा आता है- 'डियर कस्टमर, हमारे नेटबैंकिंग पर काफी संख्या में लोगों के होने के चलते, अस्थाई तौर पर हम आपके अनुरोध को प्रोसेस करने में असमर्थ हैं। कृप्या कुछ देर बाद कोशिश करें या फिर लेन-देन के लिए येस बैंक के मोबाइल एप का इस्तेमाल करें।'
2004 में खुला था येस बैंक
15 साल पहले 2004 में देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में एक नए निजी बैंक का ब्रांच खुला। इसका नाम Yes Bank था। इस नाम ने लोगों को काफी आकर्षित किया। इसका नतीजा ये हुआ कि कुछ ही सालों में Yes बैंक एक जाना पहचाना नाम बन गया, लेकिन आज यह बैंक अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है।
50 हजार से ज्यादा नहीं निकाल सकेंगे यस बैंक के ग्राहक
रिजर्व बैंक ने येस बैंक पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी हैं, जिसके मुताबिक तय अवधि तक येस बैंक बिना रिजर्व बैंक की आज्ञा के किसी भी जमाकर्ता को 50 हजार रुपये से ज्यादा की रकम नहीं दे सकता। यानि येस बैंक के ग्राहक दी गई अवधि के दौरान 50 हजार रुपये से ज्यादा नहीं निकाल सकेंगे। बता दें कि येस बैंक पर 30 दिन की अस्थायी रोक लगी है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की अधिसूचना के मुताबिक, 5 मार्च शाम छह बजे से यह रोक शुरू हो गयी है और 03 अप्रैल तक जारी रहेगी। हालांकि, आरबीआई ने येस बैंक के जमाकर्ताओं से कहा है कि उन्हें चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है, क्योंकि केन्द्रीय बैंक पूरी तरह उनके हितों की रक्षा करेगा।
येस बैंक को लेकर वित्त मंत्रालय ने कही ये बात
वित्त मंत्रालय के आदेश के बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से जारी बयान में यह कहा गया, “बैंक के जमाकर्ताओं को यह आश्वस्त किया जाता है कि उनके हितों की पूरी तरह से रक्षा की जाएगी और इसमें कोई चिंता की जरुरत नहीं है।”
एसबीआई बोर्ड ने येस बैंक में निवेश को ‘सैद्धांतिक’ स्वीकृति दी
एसबीआई बोर्ड ने नकदी संकट से जूझ रहे येस बैंक में निवेश के लिए ‘सैद्धांतिक’ स्वीकृति दे दी है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के केंद्रीय बोर्ड ने गुरुवार को एक बैठक में मामले पर चर्चा की। देर शाम, एसबीआई बोर्ड ने शेयर बाजारों को सूचित किया, ‘‘येस बैंक से संबंधित मामले पर गुरुवार को बैंक के केंद्रीय बोर्ड की बैठक में चर्चा की गई और बोर्ड ने बैंक में निवेश अवसर तलाशने के लिए सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी है।’’
बता दें कि, बैंक का नियंत्रण भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के नेतृत्व में वित्तीय संस्थानों के एक समूह के हाथ में देने की तैयारी की गयी है। आरबीआई ने येस बैंक के निदेशक मंडल को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया गया है और एसबीआई के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) प्रशांत कुमार को येस बैंक का प्रशासक नियुक्त किया गया है।
जानिए कब क्या हुआ?
- नवंबर 2003 में एक बैंकर राणा कपूर और उनके रिश्तेदार अशोक कपूर ने मिलकर यस बैंक की शुरुआत की।
- अगस्त 2004 में मुंबई में यस बैंक की पहली ब्रांच खुली।
- जून 2005 में बैंक का इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग यानी आईपीओ आम लोगों के लिए लॉन्च हुआ।
- नवंबर 2005 में यस बैंक के फाउंडर राणा कपूर को एन्टरप्रन्योर ऑफ द ईयर अवार्ड मिला।
- मार्च 2006 में बैंक ने अपना पहला वित्त वर्ष के नतीजों का ऐलान किया. बैंक का प्रॉफिट 55.3 करोड़ रुपये जबकि रिटर्न ऑफ एसेट (ROA) 2 फीसदी रहा।
- अगस्त 2007 में यस इंटरनेशनल बैंकिंग की शुरुआत की।
- 26 नवंबर 2008 को मुंबई आतंकी हमले में बैंक के प्रमोटर अशोक कपूर की मौत।
- दिसंबर 2009 में यस बैंक को 30,000 करोड़ की बैलेंसशीट के साथ सबसे तेज ग्रोथ का अवार्ड मिला।
- जून 2013 में बैंक ने देश के अलग-अलग राज्यों में 500 से अधिक ब्रांचों का विस्तार करने का फैसला लिया।
- मई 2014 में बैंक ने ग्लोबल क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (क्यूआईपी) के जरिए 500 मिलियन डॉलर जुटाए।
- मार्च 2015 में यस बैंक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी 50 में लिस्टेड हुआ।
- अप्रैल 2015 में यस बैंक ने पहला अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि कार्यालय अबूधाबी में खोला।
- साल 2017 में बैंक ने क्यूआईपी के जरिए 4906.68 करोड़ रुपये जुटाए, यह किसी निजी क्षेत्र द्वारा जुटाई गई सबसे अधिक रकम है।
- साल 2018 में यस बैंक को सिक्योरिटीज बिजनेस के कस्टोडियन के लिए सेबी से लाइसेंस मिला, इसके अलावा सेबी ने म्युचुअल फंड बिजनेस के लिए भी मंजूरी दी। बीते साल तक बैंक के पास 21 हजार से अधिक कर्मचारी थे।
- साल 2018 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने एनपीए और बैलेंसशीट में गड़बड़ी की आशंका की वजह से यस बैंक पर कार्रवाई की। इस वजह से यस बैंक के चेयरमैन राणा कपूर को पद से हटना पड़ा।
- वहीं बैंक क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (क्यूआईपी) के जरिए उम्मीद के मुताबिक फंड जुटाने में कामयाब नहीं रहा। इस माहौल में दुनिया भर की रेटिंग एजेंसियां बैंक को निगेटिव मार्किंग देने लगी हैं। इसके अलावा यस बैंक के मैनेजमेंट में उठा-पटक का असर भी बैंक की सेहत पर पड़ा है।