नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मंगलवार को होने वाली पांचवीं द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में रेपो रेट के स्थिर रहने की संभावना है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक से पहले आरबीआई सतर्क रुख अपनाते हुए नीतिगत दरें वर्तमान स्तर पर ही बनाए रख सकता है। विश्लेषकों ने समीक्षा में मुद्रास्फीति संबंधी चिंता का उल्लेख बरकरार रहने की भी संभावना व्यक्त की है।
केंद्रीय बैंक ने पिछली द्विमासिक समीक्षा में अपनी मुख्य नीतिगत रेपो रेट में 0.50 फीसदी की कटौती की थी। यह वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक अन्य सार्वजनिक बैंकों को तात्कालिक जरूरत के लिए नकद राशि उधार देता है। खुदरा मुद्रास्फीति खास कर खाद्य वस्तुओं के मूल्यों में बढ़ोत्तरी के चलते अक्टूबर में महगांई दर बढ़कर पांच फीसदी हो गई, जो सितंबर में 4.41 फीसदी थी।
विश्लेषकों का मानना है कि नीतिगत ब्याज दर में और कटौती करने से पहले भारतीय रिजर्व बैंक आम बजट का इंतजार कर सकता है। आरबीआई अमेरिकी फेडरल रिजर्व की आगामी बैठक के नतीजों के साथ सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का असर भी देखना चाहेगा। ऐसी संभावना है कि अमेरिका में 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट के बाद से पहली बार ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी की जा सकती है। फेडरल रिजर्व की अगली बैठक 15-16 दिसंबर को होनी है। बैंकों को भी लगता है कि मौजूदा वृहत्-आर्थिक परिदृश्य में गवर्नर रघुराम राजन नीतिगत स्तर पर यथास्थिति बरकरार रख सकते हैं। केंद्रीय बैंक के समक्ष रुपए में नरमी भी एक चिंता का कारण है। रुपया डॉलर के मुकाबले दो साल के न्यूनतम स्तर पर चल रहा है।
यूको बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी आरके ठक्कर ने कहा कि गवर्नर राजन फेडरल बैंक की पहल का इंतजार करेंगे। वह अभी मुख्य दरों में बदलाव नहीं करेंगे। अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी सिटी और बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच ने भी इसी तरह का अनुमान जताया है। उद्योग मंडल ऐसोचैम को भी उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक मुख्य नीतिगत दर को पिछले स्तर पर बरकरार रखेगा।