नई दिल्ली। RBI (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) ने इस साल अपनी लगातार दूसरी मौद्रिक समीक्षा पॉलिसी में नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट 6.25 फीसदी पर स्थिर रहा है। वहीं, नगद आरक्षित अनुपात (CRR) को 4 फीसदी पर स्थिर रखा गया है। हालांकि RBI ने अगले वित्त वर्ष 2017-18 में बेहतर ग्रोथ का अनुमान लगाया है।
- आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि बैंकों में ब्याज दरें कम करने के लिए अभी भी गुंजाइश बरकरार है।
- रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की जीडीपी वृद्धि का अनुमान घटाकर 6.9 प्रतिशत किया, अगले वित्त वर्ष में इसके 7.4 प्रतिशत पर पहुंचने की उम्मीद।
- रिजर्व बैंक का अनुमान है कि मुद्रास्फीति जनवरी-मार्च में पांच प्रतिशत से नीचे रहेगी।
- मौद्रिक नीति समिति ने नोटबंदी का मुद्रास्फीति पर पड़ने वाले अस्थायी प्रभाव को ध्यान में रखते हुए अपना रुख तटस्थ किया है।
- नए नोटों की आपूर्ति बढ़ने के साथ-साथ बैंकों के पास जमा नकदी का स्तर कम होता जाएगा।
- अगले वित्त वर्ष के शुरुआती महीनों में बैंकों के पास बहुतायत में नकदी होगी।
क्यों नहीं घटी ब्याज दरें
आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने बताया कि आने वाले दिनों में करेंसी में भारी उतार-चढ़ाव के चलते महंगाई बढ़ने की आशंका बनी हुई है। इसलिए मौजूदा पॉलिसी में ब्याज दरों को स्थिर रखा गया है।
- विश्लेषकों का मानना है कि अप्रैल में होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दरों में 0.25 फीसदी की कटौती संभावित है।
- इससे पहले बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच ने अपनी रिपोर्ट में संभावना व्यक्त की थी कि नोटबंदी के कारण वृद्धि की संभावना पर पड़े विपरीत प्रभाव को पलटने के लिए RBI मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में कटौती कर सकता है। साथ ही अप्रैल की मौद्रिक नीति समीक्षा में भी कटौती की संभावना है।
बाजार में भारी गिरावट
RBI के ब्याज दरें नहीं घटाने से घरेलू शेयर बाजार में निराशा देखने को मिली है। पॉलिसी के तुरंत बाद सेंसेक्स 125 अंक गिरकर दिन के निचल स्तर पर आ गया है। वहीं, निफ्टी में 50 अंक से ज्यादा की गिरावट है। अंत में बीएसई इंडेक्स 45.24 अंक गिरकर 28289 पर और निफ्टी 0.75 अंक सुधरकर 8769 अंक पर बंद हुआ।
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा की मुख्य बातें
- नीतिगत ब्याज दर रेपो 6.25 प्रतिशत पर यथावत।
- आर्थिक वृद्धि दर 2016-17 का अनुमान घटा कर 6.9 प्रतिशत किया गया।
- वर्ष 2017-18 में वृद्धि 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान।
- अगले वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि में तेजी से सुधार की संभावना।
- वर्ष 2017-18 की पहली छमाही में मुद्रास्फीति 4-4.5 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 4.5-5 प्रतिशत रहने का अनुमान।
- कच्चेल की कीमतों में बढ़ोतरी, विनिमय दर में उतार चढ़ाव और 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बड़े प्रभाव से मुद्रास्फीति दबाव बढ़ने का खतरा।
- वर्ष 2017 में वैश्विक आर्थिक वृद्धि में तेजी आने की संभावना।
- संरक्षणवादी रझान तेज होने से वैश्विक व्यापार में मंदी का अनुमान।
- रिजर्व बैंक ने नीतिगत रख को नरम की जगह तटस्थ किया।
- मौद्रिक नीति के रख में बदलाव नोटबंदी के अस्थायी प्रभावों के कारण।
- पुराने की जगह नए नोटों की आपूर्ति बढ़ने के साथ बैंकों के पास नकदी की बाढ़ कम होगी। बहर हाल नकदी की बाढ़ 2017-18 के शुरूआती महीनों में बने रहने की संभावना।
- जल्दी-जल्दी आने वाले सामयिक आंकड़ों से सेवा क्षेत्र, की गतिविधियों, वाहनों की बिक्री, घरेलू हवाई माल परिवहन, रेल माल ढुलाई तथा सीमेंट उत्पादन के मद्धिम होने के संकेत।
- खाद्य और ईंधन को छोड़, मुद्रास्फीति सितंबर से 4.9 प्रतिशत पर अड़ी हुई है।
- नीतिगत समीक्षा में बैंकों के अवरद्ध रिणों का समाधान तेजी से करने तथा बैंकों में नई पूंजी डालने का काम तेज करने पर जोर ताकि कर्ज की दरें और नीचे आ सकें।
- मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक 5-6 अप्रैल 2017 को।