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Black money: FDI पर रहेगी अब खुफि‍या एजेंसियों की नजर, RBI करेगा आईबी व रॉ के साथ जानकारी शेयर

देश में आने वाले एफडीआई पर अब खुफि‍या एजेंसियों की नजर होगी। आरबीआई एफडीआई संबंधी सूचनाएं आईबी और रॉ के साथ साझा करेगा। देश में कालाधन आने से रोकना है।

Abhishek Shrivastava
Updated : March 07, 2016 16:11 IST
Black money: FDI पर रहेगी अब खुफि‍या एजेंसियों की नजर, RBI करेगा आईबी व रॉ के साथ जानकारी शेयर
Black money: FDI पर रहेगी अब खुफि‍या एजेंसियों की नजर, RBI करेगा आईबी व रॉ के साथ जानकारी शेयर

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) संबंधी सूचनाएं देश की खुफि‍या एजेंसियों आईबी और रॉ के साथ साझा करेगा। ये एजेंसियां एफडीआई पर नजर रखेंगी, इसका मकसद देश में कालाधन आने से रोकना है। आर्थिक अपराधों पर अंकुश के लिए राजस्व सचिव की अगुवाई वाले एक सरकारी समूह की हालिया बैठक में इस बारे में फैसला किया गया। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि कैबिनेट सचिवालय ने कर पनाहगाह देशों की कंपनियों द्वारा देश में निवेश पर चिंता जताई थी। रिसर्च एवं एनालिसिस विंग (रॉ) कैबिनेट सचिवालय के प्रशासनिक नियंत्रण में ही काम करती है। इस तरह की कंपनियों के वित्तपोषण के स्रोत पर निगाह रखने के लिए कैबिनेट सचिवालय ने सुझाव दिया था कि वित्त मंत्रालय के तहत केंद्रीय आर्थिक खुफि‍या ब्यूरो (सीईआईबी) इस तरह की इकाइयों तथा निवेश का डाटाबेस रखे। बाद में इस सुझाव को खारिज कर दिया गया।

खुफिया प्रणाली पर कार्यसमूह की बैठक में खुफि‍या ब्यूरो (आईबी) के प्रतिनिधियों की राय थी कि सूचना का होना महत्वपूर्ण है। सूत्रों ने कहा कि बैठक में यह फैसला किया गया कि रिजर्व बैंक भारत में वास्तव में आने वाले एफडीआई के बारे में सूचनाओं को आईबी और कैबिनेट सचिवालय से साझा करेगा। यह कदम इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि सरकार को उम्मीद है कि व्यापार को उदार बनाने तथा कारोबार की स्थिति सुगम करने के कदमों से देश में विदेशी निवेश का प्रवाह बढ़ेगा। एफडीआई या तो स्वत: मंजूर मार्ग (जिसका रिकॉर्ड रिजर्व बैंक के पास होता है) या आर्थिक मामलों के विभाग के तहत अंतर मंत्रालयी निकाय विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (एफआईपीबी) के जरिये आता है।

कैबिनेट सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एफआईपीबी द्वारा किसी एफडीआई प्रस्ताव को मंजूर किए जाने के बाद भी सरकारी एजेंसियों को इस बात की जानकारी नहीं होती कि क्या वास्तव में देश में निवेश आया है। देश में निवेश आने की जानकारी सिर्फ रिजर्व बैंक के पास होती है। अधिकारी ने कहा कि ऐसे में यह महसूस किया गया कि वे इसका डाटाबेस तैयार करें और इसे आईबी और रॉ के साथ साझा करें। रिजर्व बैंक से यह भी कहा गया है कि वह इस सूचना को अपनी वेबसाइट पर डालने का भी विचार करे। संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं निवेश सम्मेलन की एक रिपोर्ट के अनुसार 2015 में भारत में एफडीआई का प्रवाह लगभग दोगुना होकर 59 अरब डॉलर पर पहुंच गया। विदेशी निवेश भारत के लिए इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि उसे 2012-13 से 2016-17 के दौरान करीब 1,000 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत है।

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