नई दिल्ली। बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच (बोफा-एमएल) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक अगले महीने अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में अहम दरें स्थिर रख सकता है और अगस्त में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है।
इस वित्तीय सेवा कंपनी ने आरबीआई द्वारा अगस्त में दरों में कटौती के तीन कारण गिनाए हैं। पहला, वृद्धि दर मजबूत करने की जरूरत, मुद्रास्फीति का आरबीआई के (2-6 फीसदी के) निर्धारित दायरे में बने रहना और तीसरा दरों में कटौती से आरबीआई को विदेशी भंडार बढ़ाने में मदद मिलेगी।
बोफा-एमएल ने शोध नोट में कहा कि ऐसी संभावना है कि अगस्त में कटौती से पहले आरबीआई यह देखेगा कि नोटबंदी से कितना फायदा हुआ तथा बारिश की शुरुआत कैसी है। उसने यह भी कहा है कि पुराने पैमानों के आधार पर जीडीपी वृद्धि दर 4.5-5 फीसदी के बीच है, जो सात फीसदी की क्षमता से काफी कम है। उसने कहा कि मुद्रास्फीति 2017 की पहली छमाही में औसत चार फीसदी रहेगी।
इसमें कहा गया है कि 2017 की पहली छमाही में महंगाई औसत 4 प्रतिशत रहेगी। आगे कहा गया है कि प्रमुख दरों में कटौती से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी, जो इक्विटी में निवेश करेंगे और इससे ग्रोथ को समर्थन मिलेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई मौद्रिक नीति समिति 6 जून को होने वाली बैठक में यथास्थिति कायम रखेगी और अगस्त में 0.25 प्रतिशत की कटौती करेगी। 6 अप्रैल को हुई मौद्रिक नीति समीक्षा में केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट को 6.25 प्रतिशत पर स्थिर रखा था लेकिन रिजर्व रेपो रेट को 5.75 प्रतिशत से बढ़ाकर 6 प्रतिशत कर दिया था।