नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वित्तीय शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए बृहस्पतिवार को पांच सूत्री कार्ययोजना पेश की, जिसमें स्कूली छात्रों, व्यस्कों के लिए प्रासंगिक सामग्री का विकास, सामुदायिक भागीदारी और विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग की बात शामिल है। आरबीआई द्वारा जारी ‘वित्तीय शिक्षा के लिए राष्ट्रीय रणनीति 2020-25’ (एनएसएफई) में सुझाव दिया गया है कि वित्तीय जागरुकता और सशक्त भारत को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न हितधारकों की मदद ली जानी चाहिए। रणनीति पत्र में पांच ‘सी’ - कंटेंट (सामग्री), कपैसिटी (क्षमता), कम्युनिटी (समुदाय), कम्युनिकेशन (संवाद) और कोलबोरेशन (सहयोग) को रेखांकित किया गया है। देश में वित्तीय समावेश को बढ़ाने पर भारत सरकार और वित्तीय क्षेत्र के चार नियामक (आरबीआई, सेबी, इरडाई और पीएफआरडीए) प्रमुखता से काम कर रहे हैं।
एनएसएफई के मुताबिक वित्तीय साक्षरता से वित्तीय समावेश को बढ़ावा मिल सकता है। इसके तहत विभिन्न जनसंख्या समूहों के बीच वित्तीय शिक्षा के माध्यम से बचत की आदत को बढ़ाने और वित्तीय साक्षरता की अवधारणाओं को जीवनशैली में शामिल करने का लक्ष्य है। एनएसएफई में स्कूली बच्चों, शिक्षकों, युवाओं, महिलाओं, कर्मचारियों/ उद्यमियों, वरिष्ठ नागरिकों, विकलांग व्यक्तियों, निरक्षर लोगों के लिए वित्तीय साक्षरता से संबंधित सामग्री तैयार करने पर भी जोर दिया गया है। इसके तहत छठी से दसवीं कक्षा के छात्रों के लिए स्कूली पाठ्यक्रम में वित्तीय शिक्षा की ताजा जानकारी को शामिल करने और बीएड या एमएड जैसे पाठ्यक्रमों में भी वित्तीय शिक्षा को एकीकृत करने का सुझाव दिया गया है। एनएसएफई में एक वित्तीय साक्षरता मोबाइल ऐप का विकास करने और सोशल मीडिया के इस्तेमाल की बात भी कही गई है।