मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वित्तीय संकट से जूझ रही आवास वित्त कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन (डीएचएफएल) का मामला दिवाला संहिता के तहत ऋण समाधान प्रक्रिया के लिए राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के समक्ष भेज दिया है। रिजर्व बैंक के इस निर्णय के साथ ही डीएचएफएल ऐसी पहली आवास वित्त कंपनी बन गई है जिसके बकाया ऋणों के समाधान के लिए उसे दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता (आईबीसी) के तहत कार्रवाई के लिए भेजा गया है।
केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा है कि आईबीसी के तहत दिवाला प्रक्रिया के लिये आवेदन करने और आवेदन को स्वीकार किये जाने अथवा खारिज किये जाने के बीच डीएचएफएल के कामकाज पर अंतर तौर से रोक रहेगी। शहर स्थित निजी क्षेत्र की यह आवास वित्त उपलब्ध कराने वाली कंपनी पहली एनबीएफसी अथवा आवास वित्त कंपनी (एचएफसी) है जिसे दिवाला समाधान प्रक्रिया के लिये भेजा गया है।
DHFL पर है कुल 95,615 करोड़ रुपए का ऋण
बता दें कि कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के क्षेत्रीय निदेशक (पश्चिमी क्षेत्र) ने डीएचएफएल का एक निरीक्षण कर इसकी रिपोर्ट वित्त मंत्रालय को पिछले दिनों सौंपी है। लोकसभा में 25 नवंबर को बताया गया कि इस रिपोर्ट के अनुसार, डीएचएफएल का कुल 95,615 करोड़ रुपए का ऋण पोर्टफोलियो है। वित्त मंत्रालय के मुताबिक, क्षेत्रीय निदेशक (पश्चिमी क्षेत्र) ने डीएचएफएल का निरीक्षण किया और निरीक्षण रिपोर्ट 24 अक्टूबर 2019 को मंत्रालय को सौंप दी। बयान में बताया गया कि इस निरीक्षण रिपोर्ट के अनुसार कंपनी ने 31 मार्च 2019 तक कई ऋण लिए हैं।
मंत्रालय के बयान के मुताबिक, इसमें कुल 95,615 करोड़ रुपए का ऋण पोर्टफोलियो है, जिसमें 44,851 करोड़ रुपए के आवास ऋण, 13,590 करोड़ रुपए में गैर-आवास, खुदरा ऋण के तहत 4,924 करोड़ रुपए के एसएमई ऋण शामिल हैं। थोक ऋण के तहत आवासीय परियोजनाओं के लिए 15,655 करोड़ रुपए, एसआरए परियोजना के लिए 7,021 करोड़ रुपए, गैर आवासीय के 9,340 करोड़ रुपए और वाणिज्यिक 233 करोड़ रुपए का ऋण है।
मंत्रालय ने डीएचएफएल और पांच अन्य कंपनियों की जांच का आदेश दिया है। अन्य कंपनियों में इमिजियेट रियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड, टिनासिटी रियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड आरकेडब्ल्यू डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, दर्शन डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड और राजसेन स्काईक्रैपर्स प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं। बयान में बताया गया कि क्षेत्रीय निदेशक (पश्चिमी क्षेत्र) द्वारा प्रस्तुत निरीक्षण रिपोर्ट में बैंकों और अधिकारियों की भागीदारी शामिल नहीं है।