नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को कहा कि कोविड-19 महामारी कबतक रहेगी, यह अब भी अनिश्चित बना हुआ है और ऐसे में वित्त वर्ष 2020-21 में अर्थव्यवस्था में बड़ी गिरावट का जोखिम है। इससे पहले, आरबीआई ने कहा था कि चालू वित्त वर्ष में जीडीपी में गिरावट आएगी। हालांकि उसने गिरावट का कोई आंकड़ा नहीं दिया था। लेकिन विश्लेषकों के अनुसार जीडीपी 9.5 प्रतिशत तक गिर सकती है।
केंद्रीय बैंक ने शुक्रवार को जारी छमाही वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष के कोविड-19 महामारी कब तक असर रहेगा इसको लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। ऐसे में आर्थिक गिरावट का जोखिम बड़ा है। इसमें कहा गया है कि आर्थिक गतिविधियों के पूरी तरह से बहाल होना मजबूत स्वास्थ्य संबंधी ढांचागत सुविधा के लिए समर्थन, मांग स्थिति में सुधार और आपूर्ति व्यवस्था के सुचारू होने पर निर्भर करेगा।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि इसके अलावा व्यापार और वित्तीय स्थिति जैसे वैश्विक कारकों का भी पुनरूद्धार पर असर होगा। रिपोर्ट के अनुसार लॉकडाउन के कारण आपूर्ति और मांग दोनों स्तरों पर बाधाओं, ग्राहकों का भरोसा और जोखिम लेने की क्षमता में कमी को देखते हुए निकट भविष्य में आर्थिक संभावनाएं गंभीर रूप से प्रभावित लग रही हैं।
वित्तीय मध्यस्थों के सुचारू कामकाज और समाज के वंचित लोगों की समस्याओं को दूर करने के लिए वित्तीय क्षेत्र के नियामकों और सरकार के कदमों के बावजूद अल्पकालीन आर्थिक संभावनाओं में गिरावट का खतरा ऊंचा बना हुआ है। हालांकि कर्ज की लागत कम हुई है और नकदी की स्थिति बेहतर हुई है, लेकिन जोखिम से बचने और मांग के कमजोर होने से बैंक तथा गैर-बैंकों दोनों की तरफ से अर्थव्यवस्था में जो वित्त का प्रवाह हुआ, उसका बहुत असर नहीं हुआ। उल्लेखनीय है कि देश में कोविड-19 महामारी पर अंकुश लगाने के लिए 25 मार्च से लॉकडाउन लगाया गया था। अभी कई जगहों पर लॉकडाउन जारी है। इससे आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं और कुल मिलाकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर असर पड़ा है।
इस संकट के प्रभाव को कम करने के लिए और लोगों को कुछ राहत देने के लिए रिजर्व बैंक ने अन्य कदमों समेत दो चरणों में रेपो दर में 1.15 प्रतिशत की कटौती की, जबकि सरकार ने 21 लाख करोड़ रुप के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की है।
आरबीआई ने चेताया है कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से बैड लोन यानी एनपीए 20 साल के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच सकता है। आरबीआई के अनुसार बैड लोन मार्च 2020 में 8.5 प्रतिशत से मार्च 2021 तक 12.5 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। आशंका ये भी जताई गई है कि अगर हालात ज्यादा खराब हुए तो इसके 14.7 प्रतिशत के स्तर पर भी पहुंचने की आशंका है। रिजर्व बैंक ने अपनी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में ये आशंका जताई है।