नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का कहना है कि बैंकिंग क्षेत्र के एसेट्स की गुणवत्ता भारी दबाव में है और बैंकों की सकल गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (GNPA) सितंबर में बढ़कर 9.1 प्रतिशत हो गई जो कि मार्च में 7.8 प्रतिशत थी। RBI ने गुरुवार (29 दिसंबर) को जारी फाइनेंशियल स्टैबिलिटी रिपोर्ट (FSR) में यह निष्कर्ष निकाला है।
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बैंकों के लिए निकट भविष्य में भी NPA रहेगी समस्या
फाइनेंशियल स्टैबिलिटी रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिसूचित वाणिज्यिक बैंकों का GNPA अनुपात मार्च व सितंबर 2016 के दौरान 7.8 प्रतिशत से बढ़कर 9.1 प्रतिशत हो गया।’ बैंक का कहना है कि इससे बैंकों कुल फंसे अग्रिमों का अनुपात 11.5 प्रतिशत से बढ़कर 12.3 प्रतिशत हो गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि मूल्यांकन में नुकसान के ऊंचे स्तर के मद्देनजर बैंकों के लिए जोखिम निकट भविष्य में भी बना रह सकता है क्योंकि वे अपनी बैलेंस शीट को साफ करेंगे और ऊंची ऋण वृद्धि के लिए उनके पास पर्याप्त पूंजी नहीं होगी।
तस्वीरों में देखिए सोने से जुड़े कुछ खास फैक्ट्स
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मार्च तक और बढ़ सकता है GNPA
आलोच्य अवधि में बड़े कर्जदारों की परिसंपत्ति गुणवत्ता में खासी गिरावट आई क्योंकि विशेष उल्लेखित खातों (एसएमए)-2 का हिस्सा सभी बैंक समूहों में बढ़ा है। इसके अनुसार अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का कुल ऋण पोर्टफोलियो में बड़े कर्जदारों का हिस्सा मार्च से सितंबर 2016 के दौरान घटा जबकि GNPA में उनका हिस्सा इसी दौरान बढ़ा। इसमें कहा गया है कि दबाव परीक्षण के अनुसार बेसलाइन परिदृश्य के हिसाब से GNPA अनुपात बढ़कर मार्च 2017 तक 9.8 प्रतिशत हो सकता है जो सितंबर 2016 में 9.1 रहा। यह मार्च 2018 तक 10.1 प्रतिशत तक हो सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘अगर व्यापक आर्थिक परिस्थितियां और खराब होती हैं तो GNPA अनुपात और भी बढ़ सकता है।’