नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बढ़ते गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) की वजह से बैंक ऑफ इंडिया (बीओआई) को निगरानी में डालते हुए तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई शुरू की है। इसके तहत बीओआई पर नए ऋण जारी करने या लाभांश के वितरण पर रोक लगाई गई है।
शेयर बाजारों को भेजी सूचना में बैंक ऑफ इंडिया ने कहा कि मार्च, 2017 को समाप्त वर्ष के दौरान के लिए जोखिम आधारित निगरानी मॉडल के तहत ऑनसाइट निरीक्षण के बाद केंद्रीय बैंक ने उसे तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई व्यवस्था के अंतर्गत रख दिया है। बैंक ऑफ इंडिया ने कहा कि ऊंची गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) और लगातार दो वर्षों के लिए अपर्याप्त सीईटी 1 पूंजी और संपत्तियों पर नकारात्मक रिटर्न (आरओए) की वजह से यह कदम उठाया गया है। इस कार्रवाई से जोखिम प्रबंधन, संपत्ति की गुणवत्ता, मुनाफा और दक्षता में सुधार होगा।
मार्च, 2017 के अंत तक बैंक की सकल गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) बढ़कर 13.22 प्रतिशत हो गईं, जो एक साल पहले 13.07 प्रतिशत थीं। वहीं बैंक का शुद्ध एनपीए सुधरकर 6.90 प्रतिशत हो गया, जो इससे पिछले साल 7.79 प्रतिशत पर था। चालू वित्त वर्ष की सितंबर में समाप्त तिमाही के दौरान बैंक की संपत्ति की गुणवत्ता में सुधार हुआ और कुल एनपीए कुल कर्ज की तुलना में मामूली घटकर 12.62 प्रतिशत पर आ गया, जो एक साल पहले 13.45 था।
समीक्षाधीन अवधि में बैंक का शुद्ध एनपीए भी सुधरकर शुद्ध ऋण का 6.47 प्रतिशत पर आ गया, जो एक साल पहले 7.56 प्रतिशत था। मूल्य के हिसाब से सितंबर, 2017 के अंत तक बैंक का शुद्ध एनपीए 49,306.90 करोड़ रुपए था, जो एक साल पहले 52,261.95 करोड़ रुपए पर था। केंद्रीय बैंक ने कुछ अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों जैसे आईडीबीआई बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक और यूको बैंक के खिलाफ भी इसी तरह की कार्रवाई शुरू की है।