नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2017-18 की अपनी अंतिम दोमाही पॉलिसी में पॉलिसी दरों में किसी तरह का बदलाव नहीं किया है, रेपो रेट को 6 प्रतिशत, रिवर्स रेपो रेट को 5.75 प्रतिशत और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट तथा बैंक रेट को 6.25 प्रतिशत पर कायम रखा है। RBI ने उपभोक्ता महंगाई दर (CPI) के 4 प्रतिशत रखने और ग्रोथ को बढ़ावा देने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए पॉलिसी दरों में किसी तरह का बदलाव नहीं किया है। RBI के इस फैसले के बाद बैंकों की तरफ से कर्ज सस्ता होने की उम्मीद कम हो गई है, बैंकों की तरफ से होम और कार लोन की दरों में कटौती होने की संभावना घट गई है।
महंगाई दर का अनुमान बढ़ा
RBI ने चालू वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही के लिए महंगाई दर के अनुमान में बढ़ोतरी की है, रिजर्व बैंक ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी की वजह से जनवरी-मार्च के दौरान महंगाई दर 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। इससे पहले दिसंबर की पॉलिसी में चौथी तिमाही के लिए महंगाई दर का अनुमान 4.3-4.4 प्रतिशत था।
अगले साल भी ज्यादा महंगाई
रिजर्व बैंक ने अपनी बयान में कहा है कि अगले वित्त वर्ष 2018-19 की पहली छमाही में महंगाई की स्थिति मॉनसून पर निर्भर करेगी और इस साल मानसून के सामान्य रहने का अनुमान लगाया जा रहा है, ऐसे में 2018-19 की पहली छमाही के दौरान महंगाई दर 5.1-5.6 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है जबकि दूसरी छमाही के दौरान महंगाई दर 4.5-4.6 प्रतिशत के बीच अनुमानित है।
ग्रोथ के अनुमान में भी कटौती
GDP के मुद्दे पर रिजर्व बैंक का कहना है कि 2017-18 के दौरान देश में आर्थिक विकास की दर 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है, इससे पहले बैंक ने 6.7 प्रतिशत ग्रोथ का अनुमान लगाया था। अगले वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान RBI 7.2 प्रतिशत ग्रोथ का अनुमान जारी किया है, 2018-19 की पहली छमाही के दौरान विकास की दर 7.3-7.4 प्रतिशत और दूसरी छमाही के दौरान 7.1-7.2 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है। रिजर्व बैंक अपनी अगली बैठक अगले वित्त वर्ष 2018-19 में 4-5 अप्रैल के बीच करेगा।