केंद्रीय बैंक आरबीआई ने वित्त वर्ष 2021-22 की पहली मॉनेटरी पॉलिसी में अहम फैसला लिया है। नॉन-बैंक पेमेंट संस्थानों के लिए आरबीआई द्वारा संचालित केंद्रीयकृत पेमेंट सिस्टम आरटीजीएस और एनईएफटी की सदस्यता की अनुमति दी गई है। आरबीआई के इस प्रस्ताव से पीपीआई, कार्ड नेटवर्क्स, वाइड लेवल एटीएम ऑपरेटर्स जैसे नॉन-बैंक पेमेंट सिस्टम भी केंद्रीय बैंक द्वारा संचालित की जाने वाली आरटीजीएस और एनईएफटी की सदस्यता ले सकेंगे।
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इस प्रवृत्ति को मजबूत करने और भुगतान प्रणालियों में गैर-बैंकों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए, भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों को रिजर्व बैंक द्वारा विनियमित सीपीएस में सीधे सदस्यता लेने का प्रस्ताव है।
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इस सुविधा को बढ़ाने से वित्तीय सिस्टम में सेटलमेंट जोखिम को कम करने में मदद मिलेगी और साथ ही देश में डिजिटल वित्तीय सुविधाओं को बढ़ावा देने में भी मदद मिलेगी। हालांकि, ये संस्थाएं इन सीपीएस में अपने लेन-देन के निपटान की सुविधा के लिए रिजर्व बैंक की किसी भी कैश की सुविधा के पात्र नहीं होंगी।
2021-22 के लिए 10.5 प्रतिशत GDP वृद्धि का अनुमान
भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 10.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा, और कहा कि कोविड-19 संक्रमण में बढ़ोतरी ने आर्थिक वृद्धि दर में सुधार को लेकर अनिश्चितता पैदा की है। अपनी ताजा नीति समीक्षा में, आरबीआई ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए जीडीपी वृद्धि दर के 10.5 प्रतिशत पर रहने का अनुमान जताया। समीक्षा में कहा गया कि विभिन्न कारकों को ध्यान में रखते हुए ‘‘वास्तवित जीडीपी वृद्धि के 2021-22 में 10.5 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है, जो पहली तिमाही में 26.2 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 8.3 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही मे 6.2 प्रतिशत रह सकती है।’’
भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 10.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा, और कहा कि कोविड-19 संक्रमण में बढ़ोतरी ने आर्थिक वृद्धि दर में सुधार को लेकर अनिश्चितता पैदा की है। अपनी ताजा नीति समीक्षा में, आरबीआई ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए जीडीपी वृद्धि दर के 10.5 प्रतिशत पर रहने का अनुमान जताया। समीक्षा में कहा गया कि विभिन्न कारकों को ध्यान में रखते हुए ‘‘वास्तवित जीडीपी वृद्धि के 2021-22 में 10.5 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है, जो पहली तिमाही में 26.2 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 8.3 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही मे 6.2 प्रतिशत रह सकती है।’’