नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) आज ब्याज दरों का ऐलान करेगा। विशेषज्ञों को उम्मीद है कि भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) आज रेपो रेट में फिर कटौती कर सकता है। बताया जा रहा है कि रिजर्व बैंक आर्थिक गतिविधियों को गति देने के लिए लगातार चौथी बार रेपो रेट (नीतिगत दर) में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है। इससे सभी तरह के कर्ज सस्ते होने की उम्मीद है।
बता दें कि रेपो रेट की मौजूदा दर 5.75 प्रतिशत है। आरबीआई के ब्याज दरें घटाने का मतलब है कि सस्ती दर पर बैंकों को रिजर्व बैंक से कर्ज मिलेगा तो इसका फायदा बैंक अपने उपभोक्ता को भी देंगे। यह राहत आपको सस्ते कर्ज और कम हुई EMI के तौर पर मिलेगी। इसी वजह से जब भी रेपो रेट घटता है तो आपके लिए कर्ज लेना सस्ता हो जाता है, साथ ही जो कर्ज फ्लोटिंग हैं उनकी ईएमआई भी घट जाती है।
इस साल रेपो रेट 0.75 प्रतिशत कम हुआ
आरबीआई ने पिछली तीन समीक्षा बैठकों में भी रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत घटाया था। ऑटो सेक्टर में मंदी, इन्फ्रास्ट्रक्चर में धीमी गति, मॉनसून से जुड़ी चिंताओं और शेयर बाजार में गिरावट को देखते हुए इस बार भी रेपो रेट में कटौती की उम्मीदें बढ़ गई हैं। महंगाई दर भी आरबीआई के लक्ष्य के दायरे में है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीते सोमवार को बैंक प्रमुखों के साथ बैठक की। उन्होंने बैंकों से कहा कि फरवरी से अब तक आरबीआई ने रेपो रेट में 75 बेसिस प्वाइंट यानी 0.75 प्रतिशत की कमी की है, इसका फायदा ग्राहकों तक पहुंचाएं। बैठक के बाद एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार ने एक बार फिर रेपो रेट में कटौती की उम्मीद जताई।
जून की समीक्षा बैठक में आरबीआई ने संकेत दिए थे कि इकोनॉमी को सपोर्ट करने के लिए आगे भी नरम रुख अपनाया जा सकता है। इस साल जनवरी-मार्च में जीडीपी ग्रोथ 5.8% रही। यह 17 तिमाही में सबसे कम है। पूरे वित्त वर्ष (2018-19) में ग्रोथ 6.8% रही। यह 5 साल में सबसे कम है।
क्या है रेपो रेट
जिस रेट पर आरबीआई कमर्शियल बैंकों और दूसरे बैंकों को लोन देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट कम होने का मतलब यह है कि बैंक से मिलने वाले लोन सस्ते हो जाएंगे। रेपो रेट कम हाेने से होम लोन, व्हीकल लोन वगैरह सभी सस्ते हो जाते हैं।
क्या होता है रिवर्स रेपो रेट
जिस रेट पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी को नियंत्रित करने में काम आती है। बहुत ज्यादा नकदी होने पर आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देती है।
क्या है एसएलआर (SLR)
जिस रेट पर बैंक अपना पैसा सरकार के पास रखते हैं, उसे एसएलआर कहते हैं। नकदी को नियंत्रित करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। कमर्शियल बैंकों को एक खास रकम जमा करानी होती है, जिसका इस्तेमाल किसी इमरजेंसी लेन-देन को पूरा करने में किया जाता है।
क्या है सीआरआर (CRR)
बैंकिंग नियमों के तहत सभी बैंकों को अपनी कुल नकदी का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास जमा करना होता है, जिसे कैश रिजर्व रेशियो यानी सीआरआर कहते हैं।
क्या है एमएसएफ (MSF)
भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति (2011-12) में सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ/marginal standing facility) शुरू की थी। एमएसएफ यानि मार्जिनल स्टैंडिंग फेसिलिटी के तहत कमर्शियल बैंक एक रात के लिए अपने कुल जमा का 1 फीसदी तक लोन ले सकते हैं।