नई दिल्ली। अर्थव्यवस्था की सुस्ती दूर करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले एक महीने में कई बड़े ऐलान किए हैं। त्योहारी सीजन शुरू हो चुका है। ऐसे में बाजार में मांग बढ़ाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक भी शुक्रवार (4 अक्टूबर, 2019) को मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में बड़ा ऐलान कर सकती है यानी आपको त्योहारी गिफ्ट मिलने की पूरी उम्मीद है।
बाजार जानकारों के मुताबिक, ऐसी उम्मीद है कि आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति सुस्त अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए नीतिगत दर में एक और कटौती कर सकती है। अगर ऐसा होता है तो ब्याज दरों में यह लगातार पांचवीं कटौती होगी। एमपीसी की बैठक बीते मंगलवार (1 अक्टूबर 2019) को शुरू हो चुकी है, कल शुक्रवार यानी चार अक्टूबर को चालू वित्त वर्ष की चौथी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा की घोषणा करेगी। गवर्नर पहले ही संकेत दे चुके हैं कि मुद्रास्फीति में नरमी को देखते हुए मौद्रिक नीति में नरमी की गुंजाइश बनी हुई है वहीं राजकोषीय संभावना सीमित है।
बता दें नीतिगत दरों में कटौती होने से बाजार में त्योहारी सीजन के दौरान मांग तेजी से बढ़ेगी। अगर आरबीआई रेपो रेट में कटौती करता है तो होम, कार और कंज्यूमर लोन सस्ते होंगे और आपकी ईएमआई भी घटेगी। लोग फिर से खरीदारी पर ध्यान देंगे। जानकारों का कहना है कि मांग पैदा करके ही सरकार अर्थव्यवस्था को बूस्ट कर सकती है।
अब तक चार बार कटौती कर चुका है आरबीआई
गौरतलब है कि जनवरी से अभी तक केंद्रीय बैंक पहले ही इस साल चार बार में कुल मिलाकर रेपो दर में 1.10 प्रतिशत की कटौती कर चुका है। अगस्त में हुई पिछली बैठक में आरबीआई ने 35 प्वाइंट की कटौती की थी। उस कटौती के बाद रेपो दर 5.40 प्रतिशत पर आ गयी। यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब आरबीआई ने ग्राहकों को नीतिगत दर में कटौता का लाभ तत्काल उपलब्ध कराने को लेकर बैंकों से कहा है कि वे एक अक्टूबर से अपने कर्ज को रेपो दर जैसे बाह्य मानकों से जोड़े।
विशेषज्ञों की राय है कि कॉरपोरेट कर में कटौती को देखते हुए सरकार के हाथ तंग हैं ओर ऐसे में आरबीआई अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के इरादे से रेपो दर में कटौती कर सकता है। प्रमुख वैश्विक वित्तीय सेवा प्रदाता डीबीएस ने कहा है कि रिजर्व बैंक इस सप्ताह रेपो दर में इस सप्ताह 0.20 प्रतिशत की कटौती कर सकता है। उसका कहना है कि केंद्रीय बैंक तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में प्रमुख नीतिगत दर में कुल 0.40 प्रतिशत की कटौती कर सकता है। विशेषज्ञ और उद्योग के लोग उम्मीद कर रहे हैं कि मुद्रास्फीति कम रहने की वजह से केंद्रीय बैंक के पास नीतिगत दर में और कटौती की गुंजाइश है।
5 से 5.25 फीसदी के दायरे में आ सकती है रेपो दर
बाजार विश्लेषकों का कहना है कि आरबीआई मार्केट में मांग बढ़ाने के लिए इस कारोबारी साल में रेपो रेट को घटाकर 5 फीसदी पर ले आएगा। आईडीएफसी एएमसी के प्रमुख (निश्चित आय) सुयश चौधरी ने कहा कि वैश्विक और घरेलू परिदृश्य कमजोर है जिससे मौद्रिक रुख में नरमी की गुंजाइश है। हमें उम्मीद है कि रेपो दर को 5 से 5.25 फीसदी के दायरे में लाया जाएगा। आर्थिक गतिविधियां सुस्त हैं लेकिन नीति निर्माता इस बात से राहत ले सकते हैं कि खुदरा मुद्रास्फीति संतोषजनक दायरे में है। अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 3.21 फीसदी हुई है लेकिन यह रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर के दायरे में है।