नई दिल्ली। भारतीय उद्योग जगत का मानना है कि रिजर्व बैंक द्वारा रिवर्स रेपो दर में कटौती और 50,000 करोड़ रुपये की रीफाइनेंस फैसिलिटी से कंपनियों को कोरोना वायरस की वजह से पैदा हुए वित्तीय दबाव से उबरने में मदद मिलेगी। उद्योग जगत ने शुक्रवार को कहा कि इससे सिस्टम में अधिक नकदी उपलब्ध होगी और बैंक अधिक कर्ज बांट सकेंगे ।
भारतीय उद्योग परिसंघ यानि सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि रिजर्व बैंक के इस कदम से विशेष रूप से दबाव वाले क्षेत्रों को नकदी उपलब्ध हो सकेगी। यह एक सराहनीय कदम है।
उद्योग मंडल फिक्की की अध्यक्ष संगीता रेड्डी ने कहा कि नियामकीय जरूरतों में ढील से बैंकों को कोविड-19 के प्रभाव से निपटने में मदद मिलेगी। फिक्की ने कहा कि अतिरिक्त कार्यशील पूंजी के लिए कर्ज अनिवार्य किए जाए और इसे बैंकों के विवेक पर निर्भर नहीं छोड़ा जाए।
एक अन्य उद्योग मंडल एसोचैम ने रिजर्व बैंक के ताजा उपायों को ‘जीवनरक्षक खुराक’ बताया है। एसोचैम ने कहा कि लॉकडाउन को आंशिक रूप से खोलने, नियामकीय ढील, प्रणाली में अतिरिक्त नकदी डालने और बैंकों को अधिक कर्ज देने के लिए दबाव बनाने जैसे कदमों से कॉरपोरेट जगत और कोविड-19 से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों को मदद मिल सकेगी।