नई दिल्ली। विश्लेषकों का मानना है कि मुद्रास्फीति का आंकड़ा तय लक्ष्य के मुकाबले काफी नीचे होने के बावजूद भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अगले महीने होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में यथास्थिति बनाए रख सकता है। RBI की अगली समीक्षा बैठक 5-6 अप्रैल को होगी।
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रेटिंग एजेंसी ICRA के प्रबंध निदेशक नरेश टक्कर ने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) का मार्च 2017 का आंकड़ा काफी नीचे रह सकता है। फिर भी हमें RBI की अप्रैल में जारी होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दरों में कटौती की उम्मीद नहीं दिखती है क्योंकि मौद्रिक नीति समिति मजबूती के साथ अपने मध्यम अवधि के चार प्रतिशत के आंकड़े पर ध्यान रखे हुए है।
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सिंगापुर के बैंक DBS ने कहा है कि फरवरी की मौद्रिक समीक्षा में RBI ने अपना सभी को चकित कर दिया। अप्रैल की समीक्षा में दरें यथावत रहेंगी। RBI ने मार्च के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति के पांच प्रतिशत रहने का लक्ष्य तय किया है लेकिन फरवरी में यह 3.7 प्रतिशत रह गई। हालांकि, इसमें आगे वृद्धि की उम्मीद की जा रही है।
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RBI के मध्यम अवधि लक्ष्य के मुताबिक मुद्रास्फीति घटकर चार प्रतिशत के सतर पर लाई जानी है। ICRA ने कहा कि उसे (CPI) आधारित मुद्रास्फीति मार्च में बढ़कर 4.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। हालांकि, एजेंसी का मानना है कि मुद्रास्फीति को टिकाऊ आधार पर चार प्रतिशत के करीब लाने पर अधिक जोर रहने के चलते नीतिगत दर में यथास्थिति बने रहने का अनुमान है।
DBS ने यह भी कहा है कि पहली बार थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति (EPI) खुदरा बाजार मूल्य आधारित CPI मुद्रास्फीति से आगे निकली है ऐसे में खाद्य मुद्रास्फीति पर गौर करने की जरूरत है।