नई दिल्ली। नोटबंदी से पिछले 7 दिनों से अफरातफरी में जी रहे देशवासियों के लिए एक अच्छी खबर आने की उम्मीद है। थोक और खुदरा महंगाई दर के काबू में रहने और केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले से कीमतें कम होने के अतिरिक्त दबाव से रिजर्व बैंक को नीतिगत दरों में आन वाले समय में 0.25 प्रतिशत की और कटौती का मौका मिल सकता है। यह अनुमान वित्तीय सेवा-जगत की एक प्रमुख कंपनी की एक रिपोर्ट में जताया गया है।
- एचएसबीसी के अनुसार खुदरा और थोक दोनों मुद्रास्फीति की दरें अनुकूल हैं।
- अक्टूबर के महंगाई दर के आंकड़े सुनिश्चित करते हैं कि मुद्रास्फीति को सीमित रखने के रिजर्व बैंक के लक्ष्य को पा लिया जाएगा।
एचएसबीसी ने एक शोध रिपोर्ट में कहा,
सरकार द्वारा पुराने नोटों (500 और 1000 रुपए के) को चलन से बाहर किए जाने के नए कदम से अगले साल महंगाई और वृद्धि में कमी का अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्टूबर में खाद्य कीमतों में नरमी के चलते खुदरा और थोक महंगाई में कमी आई है।
- इसके चलते एचएसबीसी को उम्मीद है कि अगले महीने रिजर्व बैंक द्वारा की जाने वाली मौद्रिक दरों की समीक्षा के दौरान दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती की जा सकती है।
- गौरतलब है कि अक्टूबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति 4.20 प्रतिशत रही, जो 14 महीनों के निचला स्तर है।
- वहीं थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति लगातार दूसरे महीने की गिरावट के साथ 3.39 प्रतिशत के स्तर पर रही।