नई दिल्ली। शुक्रवार को हुई RBI Monetary Policy की घोषणा से देशवासियों को कोई राहत नहीं मिली है। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव न करने की घोषणा की। इससे पहले भी हुई बैठक में आरबीआई ने नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव न करते हुए उन्हें स्थिर रखा था। शुक्रवार को हुई मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा के बाद रेपो रेट 4 प्रतिशत और रिवर्स रेपो रेट 3.35 प्रतिशत पर यथावत बना रहेगा।
आरबीआई की नई गठित मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी ने रेपो रेट को 4 प्रतिशत पर बनाए रखा है। रेपो रेट में कुछ बदलाव होगा, इस बात की उम्मीद पहले से भी कम थी। इससे पहले अगस्त में भी समिति ने पॉलिसी रेट में कोई बदलाव ना करके उसे 4 प्रतिशत और रिवर्स रेपो रेट को 3.35 प्रतिशत पर छोड़ दिया था। फरवरी 2019 से अब तक समिति ने रेपो रेट में 2.50 प्रतिशत की बड़ी कटौती की है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अर्थव्यवस्था में पहली तिमाही में आई गिरावट पीछे छूट चुकी है और अब स्थिति में सुधार के संकेत दिखने लगे हैं। इसलिए हम आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने के लिए अपना उदार रुख आगे भी बनाए रखेंगे। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई में भारतीय अर्थव्यवस्था निर्णायक चरण में प्रवेश कर रही है। इसलिए अंकुश लगाने के बजाये अब अर्थव्यवस्था को उबारने पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।
दास ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही तक मुद्रास्फीति के तय लक्ष्य के दायरे में आ जाने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि जीडीपी चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही तक संकुचन के रास्ते से हटकर फिर से वृद्धि के रास्ते पर आ सकती है और वित्त वर्ष की पहली छमाही के धीमे सुधार को दूसरी छमाही में मिल सकती है गति, तीसरी तिमाही से आर्थिक गतिविधियां बढ़ने लगेंगी।
सरकार ने मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी में 7 अक्टूबर को तीन नए सदस्यों को नियुक्त किया था। इससे पहले पुराने सदस्यों का कार्यकाल खत्म होने की वजह से पॉलिसी रिव्यू को टालना पड़ा था। पहले पॉलिसी रेट का ऐलान 1 अक्टूबर को होने वाला था। इस बार कमिटी में तीन नए सदस्य हैं।