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चालू वित्‍त वर्ष की शेष अवधि में नीतिगत दर को बरकरार रख सकता है RBI, बढ़ती महंगाई बनी बड़ी वजह

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) वित्‍त वर्ष 2017-18 में बाकी बची अवधि के लिए नीतिगत दर को मौजूदा स्तर पर बरकरार रख सकता है।

Manish Mishra
Published on: September 17, 2017 14:57 IST
चालू वित्‍त वर्ष की शेष अवधि में नीतिगत दर को बरकरार रख सकता है RBI, बढ़ती महंगाई बनी बड़ी वजह- India TV Paisa
चालू वित्‍त वर्ष की शेष अवधि में नीतिगत दर को बरकरार रख सकता है RBI, बढ़ती महंगाई बनी बड़ी वजह

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) वित्‍त वर्ष 2017-18 में बाकी बची अवधि के लिए नीतिगत दर को मौजूदा स्तर पर बरकरार रख सकता है। इसका कारण खुदरा मुद्रास्फीति के ऊंचे बने रहने की आशंका है जो मार्च तक 4.7 प्रतिशत हो सकती है। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की रिपोर्ट में यह कहा गया है। रिपोर्ट के अनुसार, खुदरा मुद्रास्फीति और थोक मुद्रास्फीति दोनों नीचे से ऊपर आ गए हैं और खुदरा मुद्रास्फीति मार्च 2018 तक 4.7 प्रतिशत और थोक मुद्रास्फीति 3.6 प्रतिशत रह सकती है।

इसमें कहा गया है कि सातवें वेतन आयोग की आवास किराया भत्‍ता सिफारिशों के लागू होने से खुदरा मुद्रास्फीति पर दबाव बनेगा। RBI के लिए खुदरा मुद्रास्फीति महत्वपूर्ण कारक है जिसके आधार पर वह मौद्रिक नीति को लेकर अपना रुख तय करता है।

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रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारा अनुमान है कि खुदरा मुद्रास्फीति मार्च 2018 तक 4.7 प्रतिशत आवास किराया भत्‍ता के बिना 4.3 प्रतिशत रह सकती है। उल्लेखनीय है कि खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त में बढ़कर पांच महीने के उच्च स्तर 3.36 प्रतिशत पर पहुंच गयी। यह जुलाई में 2.36 प्रतिशत थी।

घरेलू ब्रोकरेज कंपनी के अनुसार RBI चालू वित्‍त वर्ष की शेष अवधि में रेपो रेट को यथावत रख सकता है लेकिन बेहतर मॉनूसन के बीच खाद्य वस्तुओं की आपूर्ति में सुधार और रुपए की विनिमय दर में वृद्धि के कारण आयातित विस्फीति से अगर मुद्रास्फीति आश्चर्यजनक रूप से 4 प्रतिशत से नीचे रहती है तो नीतिगत दर में कटौती पर विचार कर सकता है।

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RBI ने अगस्त में मुद्रास्फीति जोखिम में कमी का हवाला देते हुए रेपो दर 0.25 प्रतिशत घटाकर 6 प्रतिशत कर दिया था। RBI की अगली मौद्रिक नीति समीक्षा 3-4 अक्‍टूबर को होनी है।

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