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ब्याज दरों में बदलाव की नहीं उम्मीद, बढ़ती महंगाई और कच्चे तेल की कीमत सबसे बड़ी चिंता

मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में बदलाव की संभवना कम है। एक्सपर्ट्स इसके पीछे बढ़ती महंगाई और वैश्विक बाजारों में कच्चे तेल की कीमत को मान रहे हैं।

Dharmender Chaudhary
Published on: June 06, 2016 19:26 IST
RBI Monetary Policy: ब्याज दरों में बदलाव की नहीं उम्मीद, बढ़ती महंगाई और कच्चे तेल की कीमत सबसे बड़ी चिंता- India TV Paisa
RBI Monetary Policy: ब्याज दरों में बदलाव की नहीं उम्मीद, बढ़ती महंगाई और कच्चे तेल की कीमत सबसे बड़ी चिंता

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की कल होने वाली द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में बदलाव की संभवना कम है। एक्सपर्ट्स इसके पीछे बढ़ती महंगाई और वैश्विक बाजारों में कच्चे तेल की कीमत को मान रहे हैं। वहीं कुछ का कहना है कि आरबीआई ब्याज दर में कटौती की दिशा में कोई अगला कदम बढ़ाने से पहले मानसून की प्रगति का थाह लेना चाहेगा। मानसूनी वर्षा की शुरूआत में इस साल देर हो रही है पर मौसम विभाग और निजी एजेंसियों ने वर्षा सामान्य या उससे ऊपर रहने का अनुमान लगाया है।

रिजर्व बैंक के गर्वनर रघुराम राजन ने पिछले साल जनवरी से लेकर अब तक नीतिगत ब्याज दरों में कुल मिला कर 1.5 फीसदी की ही कटौती की है। पर उनकी आलोचना इसी बात को लेकर हो रही है कि उन्होंने दरों में कमी शुरू करने से पहले जरूरत से ज्यादा समय तक मौद्रिक नीति को सख्त रखा। राजन नीतिगत दरों में कटौती करने के साथ साथ बैंकों को उसका पूरा फायदा ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए भी जोर देते आ रहे हैं। इस बार द्वैमासिक समीक्षा के बाद होने वाले गवर्नर के परंपरागत संवाददाता सम्मेलन को भी गौर से देखा जाएगा। क्यों कि उसमें राजन के सेवा काल के विस्तार के बारे में संकेतों को भी खोजा जाएगा। उनका कार्यकाल सितंबर में पूरा हो रहा है।

आईडीबीआई बैंक के प्रबंध निदेशक किशोर खराट ने कहा, इस बार की नीतिगत समीक्षा में मुझे कुछ खास नहीं दिखाई दे रहा। ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं होगा। प्रस्तावित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) अगली नौ अगस्त को पड़ने वाली समीक्षा की अगली तारीख से पहले काम करना शुरू कर देती है तो कल की समीक्षा राजन द्वारा पेश की जाने वाली आखिरी समीक्षा हो सकती है। यदि आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने कहा था कि सितंबर से इस समिति के पास ब्याज दरों को तय करने का आधार होगा। छह सदस्यीय इस समिति में रिजर्व बैंक के गर्वनर के साथ सरकार द्वारा नामित तीन सदस्य होंगे।

एक वरिष्ठ बैंक अधिकारी ने कहा, आरबीआई इस बार यथा स्थिति बनाए रखेगा। उसने कहा कि मुद्रास्फीति के आंकड़ें उम्मीद के अनुसार ही हैं पर वे बहुत सुखद नहीं कहे जा सकते। उसने कहा कि, केवल एक ही उत्साह जनक बात है, मानसून के अच्छे होने का अनुमान। आरबीआई उसकी प्रगति को देख कर ही कटौती का कोई निर्णय करेगा। अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ कर 5.39 फीसदी पर पहुंच गई। वित्तीय कंपनी नोमूरा की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि महंगाई दर पांच फीसदी से ऊपर बनी रहने से हमें लगता है कि वर्तमान नीतिगत दरें 2016 के अंत तक बनी रहेंगी। स्टैंडर्ड चार्टर्ड इंडिया के मुख्य कार्यकारी जरीन दारूवाला ने कहा कि मानसून में देरी को देखते हुए उन्हें मंगलवार को नीतिगत दर में कमी किए जाने की संभावना नहीं दिखती। मॉर्गन स्टेनली की भी राय है कि आरबीआई मानसून शुरू होने का इंतजार करेगा और महंगाई दर के वास्तविक रुझानों को देना चाहेगा।

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