नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष की अपनी पांचवीं मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में रेपो दर का यथावत 5.15 प्रतिशत पर कायम रखा है। गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने गुरुवार को रेपो रेट में कोई बदलाव न करने का निर्णय लिया है। इससे पहले आरबीआई ने लगातार पांच बार रेपो रेट में कटौती की थी। समिति के सभी छह सदस्यों ने रेपो रेट में कटौती के खिलाफ वोट किया था।
हालांकि रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले अक्टूबर में जारी मौद्रिक नीति समीक्षा में यह अनुमान 6.1 प्रतिशत पर था। देश की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में घटकर 4.5 प्रतिशत रह गई। यह दर पिछली 26 तिमाहियों में सबसे कम रही है। रिजर्व बैंक ने आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत रुख को उदार बनाए रखा है।
रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दर को 5.15 प्रतिशत पर यथावत रखने के साथ ही रिवर्स रेपो दर 4.90 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा, बैंक दर भी 5.40 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखी गई है। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के लिए खुदरा मुद्रास्फीति अनुमान बढ़ाकर 5.1- 4.7 प्रतिशत किया। पिछली मौद्रिक समीक्षा में इसे 3.5-3.7 प्रतिशत रखा गया था।
चालू वित्त वर्ष में केंद्रीय बैंक की यह पांचवी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा है। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक मंगलवार को शुरू हुई थी। मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा गया है कि मौद्रिक नीति समिति ने माना है कि मौद्रिक नीति में भविष्य में कदम उठाए जाने की गुंजाइश बनी हुई है। बहरहाल, मौजूदा आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति आयामों को ध्यान में रखते हुए समिति ने इस समय दरों को अपरिवर्तित रखना उपयुक्त समझा।
आरबीआई ने कहा कि जब तक आवश्यकता होगी आर्थिक वृद्धि की गति बढ़ाने के लिए वह अपना नीतिगत रुख उदार बनाए रखेगा, साथ ही यह सुनिश्चित करेगा कि मुद्रास्फीति लक्ष्य के भीतर रहे। मौद्रिक नीति समिति के सभी छह सदस्यों ने रेपो दर को अपरिवर्तित रखने के पक्ष में अपनी सहमति दी है। केंद्रीय बैंक ने 2019-20 की दूसरी छमाही में खुदरा मुद्रास्फीति अनुमान को बढ़ाकर 5.1-4.7 प्रतिशत और 2020-21 की पहली छमाही में 4-3.8 प्रतिशत कर दिया। इससे पहले वर्ष 2019 में फरवरी से लेकर अक्टूबर तक पिछली पांच द्विमासिक समीक्षाओं में रिजर्व बैंक ने रेपो दर में 1.35 प्रतिशत की कटौती कर चुका है।
लगातार छठी बार नहीं हुई कटौती
भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को लगातार छठी बार रेपो दर में कटौती के रिकॉर्ड को बनने से रोक दिया। रिजर्व बैंक ने इस वर्ष फरवरी में रेपो दर में की गई 0.25 प्रतिशत की कटौती सहित अक्टूबर तक हुई पांच समीक्षाओं में कुल मिलाकर 1.35 प्रतिशत की कटौती की है। फरवरी से अक्टूबर 2019 तक की पांच समीक्षाओं में रेपो दर 6.50 प्रतिशत से घटकर 5.15 प्रतिशत पर आ गई। लेकिन इस दौरान बैंकों ने केवल 0.29 प्रतिशत कटौती ही आगे ग्राहकों तक पहुंचाई है।
आरबीआई ने किए कई प्रयास
रिजर्व बैंक ने हाल ही में कर्ज दरों का लाभ आगे पहुंचाने के लिए कई प्रयास किए हैं। इसके लिए उसने बैंकों की ब्याज दर को बाहरी बेंचमार्क दर से जोड़ने की भी जरूरत बताई है। उपभोक्ता और कारोबारी धारणा में सुधार अभी आना बाकी है, इस लिहाज से निकट भविष्य में आर्थिक वृद्धि में नीचे की ओर जाने का जोखिम दिखाई देता है।