नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ने सूक्ष्म वित्त संस्थानों के लिए कर्ज देने की सीमा को पहले के एक लाख रुपए से बढ़ाकर शुक्रवार को 1.25 लाख रुपए कर दिया है। यह कदम ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में कर्ज की उपलब्धता बेहतर बनाने के लिए उठाया गया है। रिजर्व बैंक ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) या सूक्ष्म वित्त संस्थानों (एमएफआई) से कर्ज लेने वाले कर्जदारों के लिए घरेलू आय की पात्र सीमा को ग्रामीण क्षेत्रों के लिए पहले के एक लाख रुपए से बढ़ाकर 1.60 लाख रुपए और शहरी एवं कस्बाई क्षेत्रों के लिए 1.25 लाख रुपए से बढ़ाकर दो लाख रुपए कर दिया।
रिजर्व बैंक ने कहा कि इस बारे में जल्दी ही विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे। सूक्षम वित्त इकाइयों के मंच एमएफआईएन के अध्यक्ष मनोज नाम्बियार ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए एक बयान में कहा कि यह अच्छा फैसला है परिवारों की आय में 2015 से हुए बदलाव को परिलक्षित करता है और इससे सूक्ष्म वित्त संस्थाओं के ग्राहक पहले से ज्यादा कर्ज ले सकेंगे। उन्होंने कहा कि सूक्ष्म ऋण संस्थाएं पांच करोड़ से अधिक लोगों की मदद कर वित्तीय समावेश को बढ़ाने में योगदान कर रही हैं।
आधार हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड के एमडी और सीईओ देव शंकर त्रिपाठी ने कहा कि सरकार द्वारा पिछले एक महीने में लिए गए फैसलों और आज रेपो रेट में हुई कटौती से अर्थव्यवस्था में तेजी लाने में मदद मिलेगी। आरबीआई के कदम से होम, रिटेल और एसएमई लोन की ईएमआई घटेगी क्योंकि अधिकांश बैंकों ने अपनी ब्याज दरों को 1 अक्टूबर से रेपो रेट से लिंक कर दिया है। एनबीएफसी और एचएफसी द्वारा ब्याज दरों में कमी करने में अभी थोड़ा समय लगेगा क्योंकि इनकी ब्याज दरें बैंकों द्वारा उनके टर्म लोन रेट पर निर्भर रहती हैं और जब बैंक अपने टर्म लोन रेट में कटौती करते हैं, तब हम इसका फायदा अपने ग्राहकों को दे पाते हैं।