नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने संकेत दिए हैं कि निकट भविष्य में प्रमुख दरों में कटौती की संभावना काफी कम है, बैंक के लिए फिलहाल महंगाई दर को लक्ष्य के अंदर लाना प्राथमिकता है। केंद्रीय बैंक अपने पास मौजूद सभी संभव उपाय सही वक्त के लिए बचा कर रखने के पक्ष में है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास मानते हैं कि मौद्रिक नीति में आगे और कदम उठाने की गुंजाइश है पर फिलहाल वह इन कदमों को भविष्य में इस्तेमाल के लिये बचाकर रखने के पक्ष में हैं। उन्होंने कहा कि आर्थिक वृद्धि के लिये इनका उपयुक्त समय पर इस्तेमाल किया जाना चाहिये। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की हालिया बैठक के ब्योरे में यह बात सामने आई है। ये जानकारियां बृहस्पतिवार को जारी की गयीं। गवर्नर दास की अगुवाई वाली समिति ने यथास्थिति बरकरार रखते हुए नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। हालांकि, समिति ने अपना रुख उदार बनाये रखा, जिससे भविष्य में कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिये जरूरत पड़ने पर दरों में आगे कटौती की गुंजाइश के संकेत मिलते हैं।
ब्योरे के अनुसार, दास ने यह भी कहा कि इस स्तर पर ग्रोथ और महंगाई दर की पूरी तस्वीर साफ होने तक इंतजार करना बेहतर होगा। गवर्नर का मानना है कि अर्थव्यवस्था खुल रही है और सप्लाई चेन की बाधाएं हट रहीं हैं जिससे अर्थव्यस्था पर कोरोना के असर और उनसे निपटने के लिए उठाए गए सरकार के कदमों के असर के बारे ज्यादा सटीक सूचनाएं मिलेंगी । गवर्नर ने कहा कि घरेलू और बाहरी मांग के बीच कम क्षमता के उपयोग से निवेश मांग की रिकवरी में देरी होने की संभावना है। दास ने कहा कि फरवरी 2019 के बाद से नीतिगत दर में कुल 2.50 प्रतिशत की कटौती की जा चुकी है। उन्होंने कहा, ऐसे में हमें कुछ समय के लिये रुकना चाहिये और इस कटौती का प्रभाव वित्तीय प्रणाली में देखना चाहिये।