नयी दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि सरकारी प्रतिभूतियों, बांड पत्रों को वैश्विक सूचकांकों में जल्द से जल्द शामिल करने के प्रयास जारी हैं और केन्द्रीय बैंक ने कुछ संस्थानों के साथ इस बारे में पहले ही बातचीत शुरू कर दी है। सरकारी प्रतिभूतियों के वैश्विक सूचकांक में शामिल होने से देश में विदेशी कोषों का प्रवाह बढ़ेगा क्योंकि कई विदेशी कोष वैश्विक सूचकांक पर नजर रखते हैं। विदेशी कोषों के देश में आने से घरेलू पूंजी उद्योगों के लिये उपलब्ध होगी और उनकी नकदी की तंगी की शिकायत को दूर करने में मदद मिलेगी।
शक्तिकांत दास ने एक खास बातचीत में कहा, 'इस पर काम चल रहा है। कुछ संस्थानों के साथ हमारी बातचीत हुई है जो कि इन वैश्विक सूचकांकों को देखते हैं ... इसके लिये कोई समयसीमा नहीं बता सकता हूं लेकिन इस पर काम जारी है। हमारा प्रयास है कि इसे जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी आगे बढ़ाया जाये।' विदेशी निवेशकों की तरफ से लंबे समय से यह सुझाव दिया जा रहा था, जिसे इस साल के बजट में शामिल किया गया।
बता दें कि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020-21 के बजट में कहा है, 'सरकारी प्रतिभूतियों की कुछ खास श्रेणियों को घरेलू निवेशकों के लिये उपलब्ध कराने के साथ साथ प्रवासी भारतीय निवेशकों के लिये भी पूरी तरह से खोला जायेगा।' वैश्विक सूचकांक में सूचीबद्ध होने वाली इस तरह की विशिष्ट प्रतिभूतियों में बंधक अवधि की आवश्यकता नहीं होगी। दुनियाभर में कुछ बड़े संस्थागत निवेशक हैं जो लगातार इन सूचकांक पर नजर रखते हैं।
ब्लूमबर्ग बारक्लेज इमर्जिंग मार्किट बांड इंडेक्स जैसे कुछ सूचकांक हैं, जिनका इस्तेमाल सावरेन बांड पत्रों में निवेश फैसलों में किया जाता है। गैर- बैंकिंग क्षेत्र की सेहत के बारे में पूछे जाने पर गवर्नर दास ने कहा कि रिजर्व बैंक शीर्ष 50 एनबीएफसी पर निगाहें रखे हुये हैं। 'वास्तव में हम ऐसी निगाहें रखे हुये हैं कि बाहर से कोई इसके बारे में सोच नहीं सकता है।' उन्होंने कहा कि इसी प्रकार बैंकों तथा अन्य वित्तीय क्षेत्र की इकाइयों की सेहत पर भी केन्द्रीय बैंक लगातार नजरें रखे हुये है। रिजर्व बैंक देश के वित्तीय क्षेत्र की स्थिरता को बनाये रखने के लिये प्रतिबद्ध है।
दास ने कहा कि पिछले कुछ महीनों के दौरान एनबीएफसी क्षेत्र में ऋण प्रवाह में नियमित रूप से वृद्धि हुई है। कुछ बड़ी आवास वित्त कंपनियों सहित समूचे गैर-बैंकिंग वित्त क्षेत्र (एनबीएफसी) पर काफी दबाव आया है। सितंबर 2018 में इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एण्ड फाइनेंसियल सर्विसेज (आईएलएण्डएफएस) समूह की कंपनियों द्वारा भुगतान में चूक किये जाने के बाद एनबीएफसी क्षेत्र पर यह दबाव बना है।