नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को कहा कि उसने सार्वजनिक क्षेत्र के सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया पर 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना कुछ आवास ऋणों को लेकर उसके निर्देशों का अनुपालन नहीं करने को लेकर लगाया गया है। आरबीआई ने एक बयान में कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने 10 नवंबर, 2020 को जारी आदेश में सेंट्रल बैंक पर 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना तीन सितंबर, 2013 को जारी परिपत्र के कुछ प्रावधानों का अनुपालन नहीं करने को लगाया गया है।
यह परिपत्र आवास क्षेत्र-नवीन आवास ऋण उत्पाद, आवास ऋण का प्रारंभ में भुगतान से जुड़ा था। आरबीआई के अनुसार उसने बैंक द्वारा वितरित कुछ आवास ऋण से संबंधित रिकॉर्ड की जांच की। जांच में पता चला कि इस संदर्भ में केंद्रीय बैंक के दिशा-निर्देशों का अनुपालन नहीं किया गया।
मौजूदा सुस्ती के लिए राजन, पटेल के प्रयासों को जिम्मेदार ठहराना दु:खद
भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा है कि मौजूदा सुस्ती के लिए पूर्व गवर्नरों उर्जित पटेल और रघुराम राजन की बैंकों के अवरुद्ध कर्जों की सफाई करने की कवायद को जिम्मेदार ठहराना दु:खदायी है। आचार्य ने मंगलवार को कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक भारी डूबे कर्ज में फंसे थे। पिछले एक दशक में इसमें 100 अरब डॉलर का करदाताओं का पैसा अटका था, लेकिन इसके कोई नतीजे नहीं मिल रहे थे। सब चलता है के रवैये की वजह से कोई इसकी परवाह नहीं कर रहा था।
आचार्य ने कहा कि अब भी यह चिंता जताई जाती है कि डॉ. राजन और डॉ.पटेल ने जो किया वह गलती थी, भारत इसके लिए तैयार नहीं था। यह वास्तव में मुझे परेशान करता है। आचार्य ने अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले न्यूयॉर्क में पढ़ाने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने कहा कि यह सोचना कि केंद्रीय बैंक का बैंकों के लेखा-जोखा को साफ-सुथरा बनाने का प्रयास और संस्थागत तरीके से नियमनों की गुणवत्ता को उठाने का प्रयास गलती है, मेरी नजर में यह दु:खदायी है।