नई दिल्ली। कोरोना वायरस की वजह से दुनियाभर के वित्तीय बाजारों में मची उथल-पुथल के बाद भारत में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों पर उस समय पानी फिर गया, जब भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में नीतिगत ब्याज दरों में कटौती का कोई ऐलान नहीं किया। उन्होंने कहा कि ब्याज दरों में कटौती का फैसला द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में ही होगा। उल्लेखनीय है कि आरबीआई की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक 31 मार्च से 3 अप्रैल तक होनी है।
शक्तिकांत दास ने कहा कि हम निवेशकों का भरोसा बढ़ाने के लिए कदम उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आरबीआई ने डॉलर-रुपया स्वैप लाइन को छह माह तक के लिए आगे बढ़ाया है और अगली स्वैपिंग 23 मार्च को की जाएगी। इसके अलावा आरबीआई पॉलिसी रेट पर 1 लाख करोड़ रुपए के एलटीआरओ को कई किस्तों में आयोजित करेगा। एलटीआरओ के प्रदर्शन की समीक्षा के आधार पर इस पर भविष्य में और निर्णय लिया जाएगा।
आरबीआई ने कोरोनावायरस संकट से निपटने के लिए भुगतान के लिए डिजिटल मोड का उपयोग करने का आग्रह किया है। दास ने कहा कि नकद भुगतान से बचें। डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दें। इलेक्ट्रॉनिक, फार्मा और सर्विस सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित। आरबीआई ने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर में 0.4 से लेकर 1.5 प्रतिशत तक की गिरावट आने की संभावना है।
येस बैंक के पास पर्याप्त तरलता है यदि जरूरत हुई तो आरबीआई आवश्यकत तरलता उपलब्ध कराएगा। आरबीआई ने सभी राज्य सरकारों से कहा है कि भारतीय बैंकिंग सेक्टर, निजी बैंक सहित पूरी तरह सुरक्षित है और राज्य सरकारों को अपना जमा धन निजी बैंकों से निकालकर सरकारी बैंक में रखने की कोई जरूरत नहीं है। येस बैंक के उपभोक्ताओं को जमा धन पूरी तरह सुरक्षित है। चिंता करने की जरूरत नहीं है। आपका धन आगे भी सुरक्षित रहेगा।