नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर उर्जित पटेल मंगलवार को संसद की एक समिति के समक्ष पेश हुए। उन्होंने समिति को नोटबंदी तथा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में फंसे कर्ज (एनपीए) की स्थिति समेत अन्य मामलों के बारे में जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि पटेल को 12 नवंबर को समिति के समक्ष उपस्थित होना था।
सूत्रों ने कहा कि वित्त पर संसद की स्थायी समिति के एजेंडे में नवंबर 2016 में पुराने 500 और 1000 रुपए के नोट को चलन से हटाने, आरबीआई में सुधार, बैंकों में दबाव वाली परिसंपत्तियों तथा अर्थव्यवस्था की स्थिति सूचीबद्ध है।
आरबीआई गवर्नर समिति के समक्ष ऐसे समय पेश हो रहे हैं जब केंद्रीय बैंक तथा वित्त मंत्रालय के बीच कुछ मुद्दों को लेकर गहरा मतभेद है। इन मुद्दों में आरबीआई के पास पड़े आरक्षित कोष का उचित आकार क्या हो तथा लघु एवं मझोले उद्यमों के लिये कर्ज के नियमों में ढील के मामले शामिल हैं। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री एम वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली 31 सदस्यीय समिति के सदस्य हैं।
मार्च तक कुछ बैंकों में 42,000 करोड़ रुपए का निवेश करेगी सरकार
चालू वित्त वर्ष के शेष बचे माह के दौरान सरकार कर्ज के बोझ से दबे सार्वजनिक बैंकों की सेहत में सुधार लाने के लिए 42,000 करोड़ रुपए की पूंजी निवेश करेगी। अक्टूबर 2017 में सरकार द्वारा घोषित 2.11 लाख करोड़ रुपए की पुर्नपूंजीकरण योजना के तहत ही इस 42,000 करोड़ रुपए का निवेश क्रेडिट ग्रोथ को सहारा देने के लिए किया जाएगा।
इस पूंजी निवेश में एसबीआई और पीएनबी जैसे बड़े बैंकों को लाभ कम मिलेगा। पूंजी का निवेश नियामकीय पूंजी आवश्कयकता और ग्रोथ को बढ़ावा देने की जरूरत पर आधारित होगा।