मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक और सरकार ब्याज मुक्त बैंकिंग जिसे इस्लामिक बैंक के नाम से भी जाना जाता है, शुरू करने की संभावनाएं तलाश रहे हैं। इस तरह की बैंकिंग को इस्लामिक बैंकिंग के नाम से भी जाना जाता है। इस तरह की बैंकिंग शुरू करने के पीछे मकसद समाज के उस वर्ग को भी बैंकिंग के दायरे में लाना है, जो अभी धार्मिक कारणों से इससे दूर है।
भारतीय समाज का एक तबका है, जो धार्मिक कारणों से वित्तीय तंत्र से अलग है। धार्मिक वजह हैं, जिनकी वजह से यह तबका बैंकों के ब्याज सुविधा वाले उत्पादों से इसका लाभ नहीं उठाता है। रिजर्व बैंक ने 2015-16 की अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा है, बैंकिंग तंत्र से अलग रह गए तबके को इसमें शामिल करने के लिए सरकार के साथ विचार-विमर्श कर देश में ब्याज-मुक्त बैंकिंग उत्पाद पेश करने के तौर तरीकों को तलाशने का प्रस्ताव किया गया है।
इस्लामिक यानी शरिया बैंकिंग एक वित्तीय प्रणाली है, जो कि ब्याज की कमाई नहीं लेने के सिद्धांत पर आधारित है। इस्लाम में ब्याज की कमाई लेने पर प्रतिबंध है। इस साल की शुरुआत में जेद्दाह स्थित इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक (आईडीबी) ने अपनी पहली शाखा अहमदाबाद में खोलने की घोषणा की थी।