गांधीनगर। रिजर्व बैंक(RBI) के गवर्नर ऊर्जित पटेल ने सार्वजनिक बैंकों के घोटाले रोकने के लिए केंद्रीय बैंक को और अधिक नियामकीय शक्तियां दिये जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि उसके पास इस समय जो शक्तियां है वे घोटालेबाजों के मन में भय पैदा करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। पटेल की टिप्पणी ऐसे समय में आयी है जबकि हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसीकी फर्मों के पंजाब नेशनल बैंक( PNB) को करीब13 हजार करोड़ रुपये का चुना लगाये जाने का मामला सामने आया है।
सरकारी बैंकों पर RBI का कम कंट्रोल
नीरव व मेहुल देश से बाहर भाग गए हैं। पटेल ने केंद्रीय बैंक के पास बेहद सीमित अधिकार होने का जिक्र करते हुए कहा कि रिजर्व बैंक किसी सार्वजनिक बैंक के निदेशकों या प्रबंधन को हटाने में सक्षम नहीं है। RBI सार्वजनिक बैंकों का विलय भी नहीं करा सकता है और न ही वह इन बैंकोंको परिसमाप्त करने की कार्रवाई शुरू करा सकता है। गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में पटेल ने कहा कि देश में बैंकिंग क्षेत्रके नियामन की शक्तियांबैंकों के स्वामित्व से निरपेक्ष नहीं हैं यानी (निजी और सार्वजनिक या सहाकरी क्षेत्र के बैंकों के नियमन का रिजर्व बैंक का अधिकार एक जैसा नहीं है)
कानून में संशोधन की जरूरत
उर्जित पटेल ने कहा कि RBI की नियामकीय क्षमता निजी बैंकों की तुलना में सार्वजनिक बैंकों के लिए कमजोर है। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि बैंकिंग क्षेत्र की नियामकीय क्षमता को संशोधित करस्वामित्व निरपेक्ष बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए बैक विनियमन कानून में संशोधन की जरूरत है और यह संशोधन टुकड़े में नहीं बल्कि बल्कि पूरी तरह होना चाहिए। यह एक न्यूनतम आवश्यकता है।
कमजोर व्यवस्था से धोखेबाजों को खौफ नहीं
पटेल ने कहा कि देश में जांच और नियामकीय प्रक्रियाओं मेंअच्छा खास समय लग जाता है और इसकी सही वजहें भी हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक बैंकों की बाजार अनुशासन व्यवस्था निजी क्षेत्र के बैंकों की तुलना में कमजोर है और इसके कारण भी हैं। उन्होंने कहा कि कुल मिला कर कानून का अनुपालन कराने की जो मौजूदा व्यवस्था है वह धाखेबाजों के मन में धोखाधड़ी से होने वाले लाभ की तुलना में बड़ा खौफ पैदा करने के लिए पर्याप्त नहीं मानी जाती है। पटेल ने कहा, ‘‘ इसका परिणाम हुआ कि मौजूदा व्यवस्था कम से कम अब तक घोटालों विशेषकर जिनसे आर्थिक लाभ अर्जित किया जाता है, के लिए कोई खास रुकावट पैदा करने में सफल नहीं हो सकी है।
सरकारी बैंक RBI की पाबंदियों को नहीं निभाते
RBI गवर्नर ने कहा कि अभी यह एक सामान्य मान्यता है कि सरकारी बैंकों को धन देने वाले सभी देनदारों को सरकार की गारंटी मिली होती है क्यों की सरकार उनकी मख्य शेयरधारक है। इऩ बैंकों के स्वामित्व में बुनियाद संशोधन में सरकार की अब तक रुचि नहीं रही है। उन्होंने कहा, सार्वजनिक बैंकों के प्रबंध निदेशक यह बेहद सहजता से मीडिया को कह देते हैं कि रिजर्व बैंक की तेज सुधारात्मक कार्यवाही व्यवस्था के तहत कारोबार पहले की तरह सामान्य रहेगा जबकि वे इस व्यवस्था की पाबंदियों को पूरा नहीं कर रहे होते हैं। क्यों कि उनकी नौकरी तो सरकार के हाथ में है न कि RBI के हाथ में।