नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट मेें कोई बदलाव न करने की घोषणा की है। भारतीय रिजर्व बैंक ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दरों को यथावत रखा। आरबीआई ने मौद्रिक नीति की समीक्षा के बाद रेपो रेट को 4 प्रतिशत पर बरकरार रखा हैैै। आरबीआई की मौद्रिक नीति समीक्षा से पहले ही विशेषज्ञों का कहना था कि केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में कटौती से बचेेगा। गर्वनर शक्तिकांत दास ने कहा कि वैश्विक आर्थिक गतिविधियां अभी भी कमजोर बनी हुई हैं। कोविड-19 के बढ़ते मामलों ने रिकवरी के प्रारंभिक संकेतों को भी धूमिल किया है।
आरबीआई ने कोविड-19 के प्रभाव से राहत देने के लिए कंपनियों, व्यक्तिगत कर्जदारों के ऋणों का पुनर्गठन करने के लिए कर्जदाताओं को सुविधा उपलब्ध कराने की अनुमति प्रदान की है। दबाव झेल रहे एमएसएमई कर्जदारों का रिण खाता यदि मानक श्रेणी में है तो वह भी रिण के पुनर्गठन के पात्र होंगे। परिवारों पर कोविड-19 के प्रभाव को कम करने के लिए उन्हें अब सोने के एवज में मूल्य का 90 प्रतिशत तक कर्ज दिया जाएगा। वर्तमान में यह 75 प्रतिशत तक दिया जा रहा है। गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि स्टार्टअप को बैंक ऋण के लिहाज से प्राथमिक क्षेत्र का दर्जा दिया गया है।
गवर्नन ने कहा कि वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर पहली छमाही के साथ ही साथ पूरे वित्त वर्ष के दौरान नकारात्मक बनी रहेगी। गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद कहा कि आरबीआई का रुख उदार बना रहेगा। उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक गतिविधियां कमजोर बनी हुई है, कोविड-19 मामलों में उछाल ने पुनरुद्धार के शुरुआती संकेतों को कमजोर किया है।
दास ने कहा कि आर्थिक गतिविधियों में सुधार की शुरुआत हो गई थी, लेकिन संक्रमण के मामले बढ़ने से देश के कई हिस्सों में फिर से लॉकडाउन लगाने को मजबूर होना पड़ा। आपूर्ति श्रृंखला में बाधाएं अभी भी बरकरार हैं, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में महंगाई का दबाव भी बना हुआ है।
कोविड-19 के प्रभाव को कम करने के लिए आरबीआई ने बैंकों को कॉरपोरेट और व्यक्तिगत कर्जदारों के लिए लोन रिस्ट्रक्चरिंग की मंजूरी प्रदान की है। इसके अलावा एनएचबी व नाबार्ड को 10,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त नकदी उपलब्ध कराई जाएगी। मौद्रिक नीति समिति का अनुमान है कि मुद्रास्फीति दूसरी तिमाही में ऊंची बनी रहेगी। चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में इसमें नरमी आने की संभावना जताई गई है। अप्रैल 2020 से शुरू हुए वित्त वर्ष की पहली छमाही में भारत की अर्थव्यवस्था में संकुचन आने का अनुमान भी समीक्षा रिपोर्ट में व्यक्त किया गया है।