नई दिल्ली। अमेरिकी संरक्षणवार पर कटाक्ष करते हुए RBI (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) के गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि अगर अमेरिकी कंपनी Apple, IBM, Cisco ने टैलंट पर जोर नहीं दिया होता तो वो आज इन बड़े मुकाम को कैसे हासिल कर पाती। आपको बता दें कि RBI गवर्नर उर्जित पटेल कोलंबिया विश्वविद्यालय में एक लेक्चर के लिए गए हुए है। आरबीआई गवर्नर ने कहा, कि मुझे विश्वास नहीं होता कि हमने इस बारे में अमेरिकी नीति से यह शब्द सुना है, क्योंकि यह दुनिया में पिछले कुछ साल से जारी खुले व्यापार प्रणाली को लेकर बड़ा झटका है।
एक सवाल के जवाब में बोले गवर्नर
पटेल ने ये बातें दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में संरक्षणवादी भावनाओं के उफान को लेकर किए गए सवाल के जवाब में कहा। उन्होंने कहा कि अमेरिका सहित दुनियाभर की सबसे कुशल कंपनियों के शेयरों की कीमतें आज ग्लोबल सप्लाइ चेन की वजह से इतनी ऊंची है। यह भी पढ़े: Jio ने बढ़ाई टेलिकॉम सेक्टर के लोन को लेकर RBI की चिंता, बैंकों को प्रॉविजनिंग बढ़ाने का दिया आदेश
टैलंट को नहीं अपनाने से Apple और Cisco को होगा नुकसान
उन्होंने कहा, ऐपल कहां होता, सिस्को कहां होता, आईबीएम कहां होता, अगर इन्होंने दुनियाभर से प्रॉडक्ट्स और टैलंट को अपनाया नहीं होता। अगर नीतियां इस रास्ते में आएंगी तो अंततः संरक्षणवाद को समर्थन करने वाले किसी देश में बड़ी संपत्ति पैदा करनेवाली कंपनियां प्रभावित होंगी। यह भी पढ़े: गोल्ड बॉन्ड में 28 अप्रैल तक कर सकते हैं निवेश, कीमत है 2,901 रुपए प्रति ग्राम
अर्थशास्त्र के बुनियादी सिद्धांत से अलग चल रहा है अमेरिका
पटेल ने कहा कि अमेरिका इक्विटी और डोमेस्टिक डिस्ट्रीब्यूशन के मुद्दे पर संरक्षणवाद के रास्ते पर चल पड़ा जबकि अर्थशास्त्र के बुनियादी सिद्धांत कहते हैं कि इनसे टैक्सेशन और इनकम ट्रांसफर्स जैसी घरेलू वित्तीय नीति के जरिए निपटना चाहिए। उन्होंने कहा कि संरक्षणवाद के लिए ट्रेड इंस्ट्रूमेंट्स का इस्तेमाल किसी राष्ट्र को विकास के माहौल से अलग कर सकता है।
इसके लिए कस्टम्स ड्यूटीज, बॉर्डर टैक्स जैसे ट्रेड इंस्ट्रूमेंट्स का इस्तेमाल सबसे कारगर तरीका नहीं हो सकता। बल्कि इससे आप कहीं और ही चले जाएंगे। आपको पता नहीं है कि जिन मुद्दों का आप समाधान करना चाहते हैं, उसके इतर इक्विटी और डिस्ट्रीब्यूशन पर इन नीतियों के क्या असर होंगे। पटेल ने कहा, ‘इसे घरेलू नीति का मुद्दा मानना चाहिए और इनसे निपटने के मकसद से घरेलू वित्तीय नीति का इस्तेमाल करना चाहिए। यह भी पढ़े: प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में जमाकर्ताओं को राहत, 30 अप्रैल तक बढ़ी तारीख
भारतीय रुपया पूर्णतया बाजार निर्धारित है
भारतीय रुपया की बात करते हुए आरबीआई गवर्नर ने कहा कि यह पूर्णतया बाजार निर्धारित है और केंद्रीय बैंक का हस्तक्षेप सिर्फ उठापटक को शांत करने के लिए होता है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि हमें आगे बढ़ते हुए इसी नीति का पालन करना ही हमारे लिए उचित है।