नई दिल्ली। पूरी दुनिया में फैली कोरोना वायरस महामारी के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) गवर्नर शक्तिकांत दास ने अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए शुक्रवार को कई बड़े ऐलान किए। जानिए देश में लागू लॉकडाउन के बीच देश की अर्थव्यवस्था को लेकर आरबीआई ने क्या बड़े ऐलान किए।
1- सबसे पहले आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने रिवर्स रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है। मौजूदा समय में रिवर्स रेपो रेट 4 से घटकर 3.75 प्रतिशत किया गया। एक एक महीने में रिवर्स रेपो रेट में दूसरी बार कटौती की गई है। हालांकि, आरबीआई ने रेपो रेट और CRR में कोई बदलवा नहीं किया है।
2- लोगों की कैश की समस्या न हो इसके लिए देश को 91 प्रतिशत एटीएम ऑपरेशनल हैं, कैश की कमी नहीं होने दी जाएगी। आरबीआई की ओर से 1 लाख 30 हजार करोड़ रुपए की करेंसी भेजी गई है। कोरोना महामारी के प्रकोप के दौरान सामान्य कामकाज सुनिश्चित करने के लिए बैंकों, वित्तीय संस्थानों ने विशेष तैयारी की हैं।
3- आरबीआई गवर्नर ने आईएमएफ के अनुमानों का हवाला देते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में 2021-22 में तेजी से सुधार की उम्मीद है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि फरवरी के आईआईपी आंकड़ों में कोविड-19 के प्रभाव समाहित नहीं। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (फॉरेन एक्सचेंज) का स्तर 476.05 अरब डॉलर है।
4- रिजर्व बैंक ने सिस्टम में तरलता बढ़ाने के लिए नॉन-बैंकिंग सेक्टर के लिए 50 हजार करोड़ रुपए की सहायता की घोषणा की है। नाबार्ड को 25, सिडबी को 15 और नेशनल हाउसिंग बैंक को भी 10 हजार करोड़ रुपए की मदद दी जाएगी।
5- आरबीआई गवर्नर ने कहा कि मार्च 2020 से माइक्रोइकॉनमी पर बुरा असर पड़ा है। आईएमएफ कहा है कि दुनिया महामंदी के बाद सबसे खराब मंदी देखने जा रही है। ग्लोबल जीडीपी पर 9 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान होगा, यह जापाना और जर्मनी की जीडीपी के बराबर है। भारत कुछ उन देशों में जिनमें 1.9 पर्सेंट का पॉजिटिव ग्रोथ होगा, यह सबसे तेज ग्रोथ होगा।
6- आरबीआई गवर्नर ने बताया कि पिछले सीजन के मुकाबले खरीफ फलस में 30 फीसदी की तेजी आई है। मौसम विभाग ने कहा है कि 2020 में मॉनसून सामान्य रहेगा। रूरल डिमांड के लिए अच्छे संकेत हैं। ट्रैक्टर खरीद में तेजी आई है।
7- आरबीआई गवर्नर ने बताया कि आईआईपी के मुताबिक औद्योगिक उत्पादन 7 महीने के उछाल पर है, लेकिन यह लॉकडाउन के पहले का है। मार्च में ऑटो मोबाइल उत्पादन और बिक्री में तेज गिरावट आई है, सप्लाई में बाधाए हैं, निर्यात में कमी आई है। बिजली मांग भी तेजी से घटी है।