नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर रघुराम राजन ने शुक्रवार को कहा कि पब्लिक और प्राइवेट इन्वेस्टमेंट घटने से एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत में विकास के रास्ते में बाधा उत्पन्न हो रही है, लेकिन उन्होंने उम्मीद जताई कि मजबूत विदेशी पूंजी के लगातार बढ़ते प्रवाह से इस कमजोरी से निपटने में मदद मिलेगी।
कमजोर कैपिटल इन्वेस्टमेंट भारत की संभाविक ग्रोथ क्षमताओं को हासिल करने के रास्ते की सबसे बड़ी अड़चन है और यहां फैक्टरियां अपनी कुल क्षमता से 30 फीसदी कम पर काम कर रही हैं, प्राइवेट कंपनियां नए प्रोजेक्ट में निवेश नहीं कर रही हैं। हांगकांग में आयोजित एक बिजनेस कार्यक्रम में बोलते हुए राजन ने कहा कि ग्रोथ के स्तर पर, आरबीआई की चिंता इन्वेस्टमेंट के साथ है। उन्होंने बताया कि भारत में प्राइवेट इन्वेस्टमेंट के साथ ही साथ पब्लिक इन्वेस्टमेंट भी पिछले सालों की तुलना में घटा है।
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आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए ग्रोथ का अनुमान घटाकर 7.4 फीसदी कर दिया है, जो कि पहले 7.6 फीसदी था, यह सरकार के 8 से 8.5 फीसदी लक्ष्य से कहीं ज्यादा कम है। लेकन आरबीआई का यह अनुमान अभी भी चीन के ग्रोथ अनुमान से ज्यादा है। ग्रोथ और इन्वेस्टमेंट में मंदी के बावजूद राजन ने कहा कि मजबूत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में कुछ सुधार से प्राइवेट इन्वेस्टमेंट को कुछ प्रोत्साहन मिल सकता है।
इस साल जनवरी से जून के बीच भारत में 19.4 अरब डॉलर का विदेशी प्रत्यक्ष निवेश आया है, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 30 फीसदी अधिक है। यह इस बात का संकेत है कि विदेशी निवेशकों का भरोसा भारत पर बढ़ा है। इस माह के शुरुआत में भारत ने माइनिंग, डिफेंस, सिविल एविएशन और ब्रॉडकास्टिंग समेत 15 प्रमुख सेक्टर में विदेशी निवेश के नियमों को आसान बनाया है।