मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को आज कम कर 7.3 प्रतिशत कर दिया है। हालांकि, शीर्ष बैंक ने उम्मीद जताई कि नए नोटों के चलन में आने से खासकर नकदी-गहनता वाले क्षेत्रों में उपभोक्ता व्यय बढ़ेगा। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने वित्त वर्ष 2016-17 के लिए वास्तविक सकल मूल्य वर्द्धन (जीवीए) 6.6 प्रतिशत रहने की बात कही है, जो कि फरवरी 2017 में जारी दूसरे अग्रिम अनुमान से 0.1 प्रतिशत अंक कम है।
साथ ही नोटबंदी के बाद बैंकों के ब्याज में कमी से घरों में खपत और निवेश मांग दोनों को समर्थन मिलना चाहिए। रिजर्व बैंक ने आगे कहा कि सरकार का व्यय लगातार मजबूत बना हुआ है, इससे अन्य क्षेत्रों में नरमी के प्रभाव से निपटने में मदद मिली है। इसके अनुसार, केंद्रीय बजट में किए गए प्रस्तावों के क्रियान्वयन से निजी निवेश आकर्षित होगा क्योंकि जीएसटी, दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता तथा विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड को समाप्त किए जाने जैसे संरचनात्मक सुधारों से व्यापार माहौल सुधरा है।
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के बयान के अनुसार कच्चे माल की लागत बढ़ने तथा मजदूरी दबाव से कंपनियों का लाभ प्रभावित हो सकता है, इससे जीवीए वृद्धि नीचे आएगी। इसके अनुसार पुन: कंपनियों पर अधिक कर्ज तथा बैंक क्षेत्र पर दबाव से निजी निवेश मांग में सुधार में और विलंब हो सकता है।