मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सार्वजिनक सुविधाओं के बिल आदि के नियमित समयान्तराल से भुगतान यानि ऑटो डेबिट की ऑनलाइन सुविधा के संबंध में ‘प्रमाणीकरण का अतिरिक्त कारक’ (एएफए) के दिशानिर्देशों को लागू करने की समयसीमा छह माह के लिए बढ़ा दी है। अब इन्हें 30 सितंबर तक लागू किया जा सकता है। पर केंद्रीय बैंक ने नए दिशानिर्देशों को तय सीमा में लागू न करने के लिए बैंकों एवं गैर वित्तीय कंपनियों को झिड़की लगायी है। आरबीई ने कहा है कि इनका अनुपालन न करना ‘गंभीर चिंता का विषय है।’
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आरबीआई ने सभी बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और ऑनलाइन भुगतान सेवा में प्रवेश द्वार (गेटवे) की भूमिका निभाने वाली फर्मों) को भुगतान की प्रमाणिकता सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त प्रमाणीकरण कारक लागू करने के निर्देश के लिए 31 मार्च 2021 तक का समय दिया था। इसका उद्येश्य आवर्ती यानी निश्चित समय पर ऑनलाइन भुगतान में धोखाधड़ी से ग्राहकों को सुरक्षा प्रदान करना है। लेकिन कुछ फर्में इसका अनुपालन समय रहते नहीं कर सकी हैं।
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आरबीआई ने बुधवार को एक बयान में कहा कि इसका अनुपालन न करना ‘गंभीर चिंता का विषय है।’ इसमें विलंब से ऐसी स्थिति पैदा हुई है जिससे ग्राहकों को बड़े पैमाने पर असुविधा और उनके भुगतान में चूक हो सकती है।’ रिजर्व बैंक ने इसे देखते हुए एएफए को लागू करने का समय 30 सितंबर 2021 तक बढ़ा दिया है। रिजर्व बैंक ने इसके लिए पहली बार नियम अगस्त 2019 में जारी किए था। पहले इसे कार्ड और वालेट के लिए लागू किया गया था बाद में इसे यूनीफाइड भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) पर भी लागू कर दिया गया।
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ग्राहकों के हित और सुरक्षा में अब पहले लेन-देन के पंजीकरण के लिए प्रमाणीकरण का अतिरिक्त कारक लागू करने और लेन-देन से पहले नोटीफिकेशन (एसएमएस) भेजने और व्यवस्था से बाहर निकलने की सुविधा आदि देने का प्रावधन किया गया है।