मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने मंगलवार को कहा कि ऋणशोधन अक्षमता व दिवाला संहिता (IBC) जैसी पहलों व फंसे कर्ज को त्वरित चिन्हित करने जैसे कदम वित्तीय स्थिरता के लिए अच्छे साबित होंगे भले ही फौरी तौर पर इनसे दिक्कत हो। आचार्य ने आरबीआई की वित्तीय स्थिरता रपट के आमुख में यह भरोसा जताया है।
इसमें आचार्य ने खेद जताया है कि वित्तीय क्षेत्र में चल रहे मौजूदा मंथन के बावजूद संकटग्रस्त सार्वजनिक बैंक (पीएसबी) क्षेत्र में संचालन संबंधी सुधार पीछे रहे गए हैं। उन्होंने कहा है कि अर्थव्यवस्था में मजबूती आती दिखाई दे रही है लेकिन वैश्विक बाजार में जिंस कीमतों में उतार-चढ़ाव व अशांत पूंजी प्रवाह हमारी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को यह याद दिलाता है कि संतोषी बनकर बैठने की ज्यादा गुंजाइश नहीं है।
आचार्य के अनुसार बैंकिंग क्षेत्र की कुछ पुरानी व ढांचागत दिक्कतों को अंतत: दूर किया जा रहा है। उन्होंने कहा है कि दबाव वाली संपत्तियों से निपटने के लिये रिजर्व बैंक द्वारा जारी 12 फरवरी की संशोधित रूपरेखा से ऋण जोखिम का जल्द पता चल सकेगा और उसका समाधान हो सकेगा।