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कमजोर सरकारी बैंकों को फि‍र से निजी हाथों में सौंपने का आ गया है समय, RBI डिप्‍टी गवर्नर ने दी सलाह

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा कि कुछ राष्ट्रीयकृत बैंकों के फिर से निजी हाथों में सौंपने का समय संभवत: आ गया है।

Abhishek Shrivastava
Updated on: April 29, 2017 13:05 IST
कमजोर सरकारी बैंकों को फि‍र से निजी हाथों में सौंपने का आ गया है समय, RBI डिप्‍टी गवर्नर ने दी सलाह- India TV Paisa
कमजोर सरकारी बैंकों को फि‍र से निजी हाथों में सौंपने का आ गया है समय, RBI डिप्‍टी गवर्नर ने दी सलाह

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा कि कुछ राष्ट्रीयकृत बैंकों के फिर से निजी हाथों में सौंपने का समय संभवत: आ गया है, क्योंकि सरकार को फंसे कर्ज में डूबे बैंकों के लिए पूंजी जुटाने में मशक्कत करनी पड़ रही है।

उद्योग मंडल फिक्की की महिला इकाई को संबोधित करते हुए आचार्य ने कहा कि संभवत: कुछ राष्ट्रीयकृत बैंकों के फिर से निजीकरण के विचार को अमल में लाने का समय आ गया है। इससे सरकार को बैंक पूंजी के रूप में जो कोष डालने की जरूरत है, उसमें कमी आएगी। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के कदम से सरकार के राजकोषीय अनुशासन को बनाए रखने में भी मदद मिलेगी। इसी राजकोषीय अनुशासन के साथ स्थिर मुद्रास्फीति परिदृश्य ने देश को विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षक स्थल बनाया है।

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सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में मौजूदा दबाव के समाधान के भरोसेमंद तरीकों का सुझाव देते हुए उन्‍होंने यह टिप्पणी की। इन सुझावों में निजी पूंजी जुटाना, संपत्ति बिक्री, विलय, तत्काल सुधारात्मक कर्यवाही तथा विनिवेश शामिल हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के ज्यादातर बैंक 1969 से पहले निजी बैंक थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनका उस समय राष्ट्रीयकरण किया था।

कृषि आय पर कर लगाने का सवाल ही नहीं: पनगढि़या 

सरकारी शोध संस्थान नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढि़या ने स्पष्ट रूप से कहा कि ऐसे समय में जब सरकार किसानों की आय दोगुना करने के लिए उत्साहित है, कृषि आय पर कर लगाने का कोई सवाल ही नहीं उठता।

पनगढि़या ने कहा कि देश का 80 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्र कृषि से जुड़ा हुआ है और हम किसानों की आय दोगुना करने की बात कर रहे हैं। तो हम कैसे किसानों की आय पर कर लगाने की बात कर सकते हैं? उन्होंने यह बात नीति आयोग के सदस्य विवेक देबरॉय द्वारा कृषि आय पर कर लगाने के एक विवादित बयान के संबंध में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कही।

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