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Reserve Bank of India cuts repo rate
नई दिल्ली। कमजोर पड़ती आर्थिक वृद्धि को बढ़ाने के लिए रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को प्रमुख नीतिगत दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की और कटौती कर दी। इस कटौती के बाद रेपो दर 5.15 प्रतिशत रह गई। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर कमजोर पड़कर पांच प्रतिशत रह गई। यह पिछले छह साल का निचला स्तर है। देश-दुनिया में लगातार कमजोर पड़ती आर्थिक वृद्धि की चिंता करते हुये रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती पर जोर दे रहा है ताकि ग्राहकों को बैंकों से सस्ता कर्ज मिले और आर्थिक गतिविधियों में तेजी आये।
रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन चली बैठक के तीसरे दिन शुक्रवार को बैंक ने रेपो दर को 5.40 प्रतिशत से घटाकर 5.15 प्रतिशत कर दिया। बता दें कि रेपो दर वह दर होती है जिस पर रिजर्व बैंक दूसरे वाणिज्यक बैंकों को उनकी फौरी जरूरतों के लिए नकदी उपलब्ध कराता है। इस नकदी की लागत कम होने से बैंकों को सस्ता धन उपलब्ध होता है जिसे वह आगे अपने ग्राहकों को उपलब्ध कराते हैं। रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की इस कटौती समेत इस साल रिजर्व बैंक रेपो दर में कुल मिलाकर 1.35 प्रतिशत की कटौती कर चुका है। रिजर्व बैंक ने इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि दर के अनुमान को भी 6.9 प्रतिशत से घटाकर 6.1 प्रतिशत कर दिया है।
आरबीआई गवर्नर की बड़ी बातें
- रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अंतरिम लाभांश की किसी मांग के बारे में जानकारी नहीं।
- दास ने कहा कि सरकार के करों में कटौती के बाद राजकोषीय लक्ष्य हासिल करने की उसकी प्रतिबद्धता को लेकर संदेह करने की कोई वजह नहीं।
- रिजर्व बैंक ने दूसरी तिमाही के लिये खुदरा मुद्रास्फीति दर के अनुमान को मामूली संशोधन के साथ 3.4 प्रतिशत कर दिया। जबकि दूसरी छमाही के लिये मुद्रास्फीति अनुमान को 3.5 प्रतिशत से 3.7 प्रतिशत पर बरकरार रखा।
- पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (पीएमसी) से जुड़े सवाल पर दास ने कहा किसी एक घटना को सभी बैंकों का हाल बताने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। देश का बैंकिंग तंत्र मजबूत और स्थिर, घबराने की जरूरत नहीं है।
- आरबीआई गवर्नर ने कहा कि मौद्रिक नीति में कटौती का लाभ आगे ग्राहकों तक पहुंचाने का काम आधा-अधूरा।
- अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए सरकार के प्रोत्साहन उपायों से निजी क्षेत्र में खपत बढ़ेगी साथ ही निजी निवेश बढ़ाने में मदद मिलेगी।
- रिजर्व बैंक ने आर्थिक वृद्धि की गति बढ़ाने के मद्देनजर मौद्रिक नीति में समायोजन बिठाने वाला नरम रुख बरकरार रखा।
- रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि दर का अनुमान 6.9 प्रतिशत से घटाकर 6.1 प्रतिशत किया।
- रिजर्व बेंक ने प्रमुख नीतिगत दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की कटौती की। रेपो दर 0.25 प्रतिशत घटकर 5.15 प्रतिशत पर आई।
जानिए क्या है मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी)
- दरअसल, एमपीसी का गठन 2016 में हुआ था। इसके लिए वित्त विधेयक के जरिए आरबीआई एक्ट में संसोधन किया गया था। यह समिति आर्थिक विकास को देखते हुए नीतिगत दरें तय करती है, इसमें महंगाई की दर का खास ध्यान रखा जाता है। मौद्रिक नीति समिति में आरबीआई के गवर्नर सहित 6 विशेषज्ञ होते हैं, इसमें तीन सदस्य केंद्र सरकार और तीन आरबीआई के होते हैं। समिति की अध्यक्षता गवर्नर करते हैं।
- समिति के हर सदस्य की सदस्यता चार वर्षों के लिए होती है, इस समिति के लिए वर्ष में कम से कम चार बैठकें करना जरूरी है। आरबीआई का मौद्रिक नीति विभाग मौद्रिक नीति तैयार करने में एमपीसी की मदद करता है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ आरबीआई अकेला ही मौद्रिक नीति समिति के जरिए अर्थव्यवस्था में बैंकिंग प्रणाली पर नजर रखता है।
- दुनिया में ऐसे तमाम देश हैं जो किसी विशेष समिति के जरिए मौद्रिक नीति तैयार करते हैं। अगर आसान शब्दों में जानें तो अमेरीका में 'फेडरल ओपन मार्केट कमेटी' की मदद से यह काम फेडरल रिजर्व करता है। जापान और ब्रिटेन के केंद्रीय बैंक भी मौद्रिक नीति समिति के जरिए ही मौद्रिक नीति बनाते हैं।