नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आखिरकार रेपो रेट में लगातार पांचवीं बार कटौती क्यों की है? इस सवाल के जवाब में आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कमजोर पड़ती आर्थिक वृद्धि को बढ़ाने के लिए प्रमुख नीतिगत दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की और कटौती की गई है। इस कटौती के बाद रेपो दर 5.40 प्रतिशत से घटकर 5.15 प्रतिशत रह गई है।
दास ने कहा कि इस कटौती से बैंकों का कर्ज और सस्ता होने की उम्मीद बढ़ी है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर कमजोर पड़कर पांच प्रतिशत रह गई है। यह पिछले छह साल का निचला स्तर है। देश-दुनिया में लगातार कमजोर पड़ती आर्थिक वृद्धि की चिंता करते हुए रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती पर जोर दे रहा है ताकि ग्राहकों को बैंकों से सस्ता कर्ज मिले और आर्थिक गतिविधियों में तेजी आए।
रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन चली बैठक के तीसरे दिन शुक्रवार को बैंक ने रेपो दर को 5.40 प्रतिशत से घटाकर 5.15 प्रतिशत कर दिया। रेपो दर वह दर होती है जिस पर रिजर्व बैंक दूसरे वाणिज्यक बैंकों को उनकी फौरी जरूरतों के लिए नकदी उपलब्ध कराता है। इस नकदी की लागत कम होने से बैंकों को सस्ता धन उपलब्ध होता है, जिसे वह आगे अपने ग्राहकों को उपलब्ध कराते हैं। रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की इस कटौती सहित इस साल रिजर्व बैंक रेपो दर में कुल मिलाकर 1.35 प्रतिशत की कटौती कर चुका है।
रिजर्व बैंक ने इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि दर के अनुमान को भी 6.9 प्रतिशत से घटाकर 6.1 प्रतिशत कर दिया है। आरबीआई ने दूसरी तिमाही के लिए खुदरा मुद्रास्फीति दर के अनुमान को मामूली संशोधन के साथ 3.4 प्रतिशत कर दिया है, जबकि दूसरी छमाही के लिए मुद्रास्फीति अनुमान को 3.5 प्रतिशत से 3.7 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।