नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पीएम नरेंद्र मोदी की दोबारा सरकार बनने के बाद अपनी पहली मौद्रिक समीक्षा में प्रमुख ब्याज दरों में कटौती का ऐलान किया है। यह लगातार तीसरा मौका है जब केंद्रीय बैंक ने प्रमुख नीतिगत दरों में कटौती की है। इस बार सबसे खास बात यह रही कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति के सभी सदस्य रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती और नीतिगत रुख में बदलाव के पक्ष में रहे।
इस बार प्रमुख नीतिगत ब्याज दर में कटौती का फायदा सीधे ग्राहकों को मिलेगा। इसकी वजह यह है कि भारत के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने अपनी दरों को रेपो रेट से लिंक कर दिया है और इसके घटने के बाद वह भी अपनी ब्याज दरों में कटौती करेगा। एसबीआई के ऐसा करने से अन्य प्रमुख बैंक भी उसका अनुसरण करेगे। रिटेल ग्राहकों को अब होम लोन और कार लोन सस्ता मिलेगा और उनकी ईएमआई भी घटेगी।
आरबीआई ने आरटीजीएस और एनईएफटी लेनदेन पर लगने वाले शुल्क को भी खत्म करने का निर्णय लिया है और सभी बैंकों को इसका फायदा ग्राहकों तक पहुंचाने का निर्देश दिया है।
आरबीआई ने इस बार रिवर्स रेपो दर भी घटाकर 5.50 प्रतिशत कर दी है। इसके अलावा उधार की सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) पर ब्याज दर और बैंक दर 6.0 प्रतिशत कर दी है। रिजर्व बैंक ने अपने नीतिगत रुख को तटस्थ से नरम किया है। रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए अपने जीडीपी वृद्धि दर अनुमान को पहले के 7.2 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया है।
रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) के दौरान मुद्रास्फीति 3 से 3.10 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। पिछली समीक्षा में यह अनुमान 2.90 से 3.0 प्रतिशत था। मौद्रिक नीति समिति की बैठक का ब्योरा 20 जून 2019 को जारी किया जाएगा। समिति की अगली बैठक 5-7 अगस्त 2019 को होगी।
आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती की है। रेपो रेट की नई दर 5.75 प्रतिशत हो गई है। केंद्रीय बैंक ने यह निर्णय अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए उठाया है। इससे पहले बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच (बोफाएमएल) की रिपोर्ट में कहा गया है कि महंगाई संतोषजनक स्तर पर है, जिस वजह से केंद्रीय बैंक परंपरा से हटकर ब्याज दरों में कुछ अधिक की कमी कर सकता है। परंपरागत तौर पर रिजर्व बैंक 25 या 50 अंक की कटौती करता है या फिर बढ़ोतरी करता है।