नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने चालू वित्त वर्ष में करेंसी नोटों की प्रिंटिंग के लिए अपने ऑर्डर में कटौती कर दी है। कटौती की वजह से पिछले पांच साल की तुलना में यह ऑर्डर अपने निम्नतम स्तर पर आ गया है। आरबीआई ने ये कदम केंद्रीय बैंक और कॉमर्शियल बैंकों की करेंसी चेस्ट में नए नोट रखने की जगह न होने के कारण उठाया है। करेंसी चेस्ट पुराने बंद हो चुके नोटों से भरे पड़े हैं।
इस मामले से जुड़े दो लोगों ने बताया कि आरबीआई ने वित्त वर्ष 2018 के लिए 21 अरब करेंसी नोट की छपाई का ऑर्डर दिया है, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में यह ऑर्डर 28 अरब नोटों का था। पिछले पांच सालों से सालाना औसत प्रिंटिंग ऑर्डर 25 अरब नोट का रहा है। पिछले साल आरबीआई ने सबसे ज्यादा नोटों की प्रिंटिंग का ऑर्डर दिया था क्योंकि उसे पुराने नोटों की जगह इन्हें चलन में लाना था।
आरबीआई के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 13 अक्टूबर तक 15.3 लाख करोड़ रुपए मूल्य के नोट चलन में आ चुके हैं। यह एक साल पहले की तुलना में केवल 10 प्रतिशत कम हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि करेंसी चेस्ट और आबीआई तिजोरियों में नए नोट रखने की बहुत कम जगह बची है। दो अन्य लोगों ने कहा कि आरबीआई की तिजोरियां और करेंसी चेस्टों में बंद हो चुके 500 और 1000 रुपए के नोट भरे पड़े हैं। इन नोटों की अभी भी गिनती जारी है इस वजह से इन्हें नष्ट नहीं किया जा रहा है।
पीटीआई की 29 अक्टूबर की खबर के मुताबिक केंद्रीय बैंक परिष्कृत करेंसी वेरीफिकेशन सिस्टम का उपयोग करते हुए बंद हो चुके नोटों की जांच कर रहा है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि आरबीआई 500 रुपए के 11.34 अरब तथा 1000 रुपए के 5.25 अरब नोटों का सत्यापन कर चुकी है, जिनका कुल मूल्य 10.91 लाख करोड़ रुपए है।