मुंबई। रिजर्व बैंक ने घरेलू गतिविधियों में नरमी तथा वैश्विक स्तर पर व्यापार युद्ध बढ़ने के मद्देनजर चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को गुरुवार को कम कर 7 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले, अप्रैल में मौद्रिक नीति समिति ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 2019-20 में 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था। इसमें पहली छमाही में वृद्धि 6.8 से 7.1 तथा दूसरी छमाही में 7.3 से 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था। इसमें जोखिम दोनों तरफ समान रूप से बराबर है।
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केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 की जनवरी-मार्च तिमाही के आंकड़े से संकेत मिलता है कि घरेलू निवेश कमजोर है और कुल मिलाकर मांग कमजोर हुई है। निर्यात में नरमी इसका एक बड़ा कारण है। वैश्विक स्तर पर मांग की कमजोरी का कारण व्यापार युद्ध का बढ़ना है। इससे भारत के निर्यात और निवेश पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा हाल के महीनों में खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में निजी खपत कमजोर हुई है।
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हालांकि वृद्धि के लिए कई अनुकूल बातें भी हैं। इनमें राजनीतिक स्थिरता, स्थापित उत्पादन क्षमता का उपयोग बढ़ना, दूसरी तिमाही में व्यावसायिक इकाइयों की भविष्य को लेकर प्रत्याशाओं में सुधार, शेयर बाजार में उछाल तथा वाणिज्यिक क्षेत्र को कर्ज वितरण में सुधार जैसी बातें शामिल हैं। इन कारकों तथा नीतिगत दरों में हाल की कटौती के प्रभाव पर विचार करते हुए 2019-20 में जीडीपी वृद्धि दर के अप्रैल अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर 7.0 प्रतिशत कर दिया है। इसमें पहली छमाही में वृद्धि दर 6.4 से 6.7 प्रतिशत तथा दूसरी छमाही में 7.2 से 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसमें जोखिम दोनों तरफ समान रूप से बराबर है।
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देश का निर्यात मार्च 2019 में 11.8 प्रतिशत बढ़ा था। अप्रैल 2019 में निर्यात वृद्धि मात्र 0.6 प्रतिशत रही। इसका कारण इंजीनियरिंग वस्तुओं, रत्न एवं आभूषण तथा चमड़ा उत्पाद के निर्यात में कमी है। अमेरिका तथा चीन के बीच शुल्क युद्ध का वैश्विक व्यापार और वित्तीय बाजारों पर प्रभाव पड़ा है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के अनुसार देश की जीडीपी वृद्धि दर जनवरी-मार्च, 2018 तिमाही में 5.8 प्रतिशत रही। पिछले वित्त वर्ष में सालाना वृद्धि दर भी पांच साल के न्यूनतम स्तर 6.8 प्रतिशत पर पहुंच गयी।